उत्तर प्रदेश में धर्म-कर्म के कार्यों के लिए एक अलग निदेशालय के गठन का प्रस्ताव पास किया गया. अब तक धर्मार्थ कार्य विभाग तो था, लेकिन इसका कोई निदेशालय नहीं था. इसके चलते धर्मार्थ कार्य विभाग की योजनाओं और इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स के संचालन में प्रशासन को मुश्किलें उठानी पड़ रही थीं.


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1985 में बना था धर्मार्थ कार्य विभाग
धर्मार्थ संस्थाओं और मंदिरों के व्यवस्थापन से जुड़े हुए कार्यों के लिए 19 दिसंबर 1985 को अलग से धर्माथ कार्य विभाग का सृजन किया गया था. इसका सिर्फ एक अनुभाग प्रमुख सचिव के नेतृत्व में शासन स्तर पर कार्य करता है लेकिन 35 साल बाद भी इसका निदेशालय नहीं बन सका है. अब कैबिनेट की बैठक के बाद निदेशालय के गठन को मंजूरी दी गई. 


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बनारस में होगा मुख्यालय 
निदेशालय का मुख्यालय बनारस में होगा और उप कार्यालय गाजियाबाद में होगा. शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में निदेशालय गठन के  प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.  निदेशालय गठन के बाद सभी धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के  लिए सरकार अध्यादेश लेकर आने वाली है.  निदेशालय का मुख्यालय काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से उपलब्ध कराए गए भवन में होगा, जबकि उप कार्यालय गाजियाबाद स्थित कैलास मानसरोवर भवन  में होगा.


क्यों पड़ी निदेशालय की जरूरत?
बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना शुरू होने के बाद ही इसकी जरूरत महसूस की गई. मंदिर 1983 में अधिग्रहण के बाद से शासन के ही अधीन है। इसके अलावा बनारस से ही गोरखपुर और विंध्य धाम में भी तीर्थस्थल विकास-विस्तार की ज्यादातर गतिविधियां भी जुड़ी हुई हैं. अयोध्या को भी नया रूप देने की तैयारी चल रही है. ऐसे में बनारस में ही निदेशालय स्थापित करने की योजना पर काम शुरू किया गया ताकि धार्मिक परियोजनाओं का काम आसानी से हो सके. 


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क्या होंगी प्राथमिकताएं 
निदेशालय की प्राथमिकताओं में काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद का गठन एवं संचालन होगा. चित्रकूट परिक्रमा स्थल और भजन संध्या स्थल का निर्माण, अयोध्या भजन संध्या स्थल का निर्माण, वैदिक विज्ञान केंद्र का निर्माण, कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए अनुदान होगा. इसके अलावा प्रदेश में मौजूद छोटे-बड़े पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार और विकास कार्य करना भी निदेशालय की प्राथमिकता में होगा. 


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