प्रयागराज: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के ASI यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से वैज्ञानिक सर्वे कराने से जुड़े वाराणसी जिला जज के आदेश के विरुद्ध अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी की याचिका पर 3 अगस्त गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया. कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे को जारी रखने का आदेश दिया. इससे पहले वाराणसी जिला जज के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी और हाई कोर्ट को सुनवाई का आदेश जारी किया था. हाईकोर्ट में 25 से 27 जुलाई तक मामले को लेकर सुनवाई की गई थी। 


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निर्माण को कोई नुकसान नहीं
मुस्लिम पक्ष ने ASI के हलफनामे पर अपना जवाबी हलफनामा दाया किया. 27 जुलाई को ASI के अपर महानिदेशक आलोक त्रिपाठी के द्वारा कोर्ट में एक बार फिर ये स्पष्ट किया गया कि सर्वे से निर्माण को किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचेगी. वैज्ञानिक सर्वे में लेटेस्ट टेकनीक का यूज किया जाएगा. अपर सालिसिटर जनरल है शशि प्रकाश सिंह जिन्होंने इस बारे में दाखिल हलफनामे को उठाया. मस्जिद पक्ष की ओर से बहस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता ने ASI के कुदाल-फावड़े साथ आने का फोटोग्राफ दिखाया, और तो और सर्वे से भवन ध्वस्त करने तक का शक जताया था. 


मामला क्या है?
जुलाई महीने की 21 तारीख को वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी परिसर में वुजूखाना व शिवलिंग छोड़ बाकी की जगहों के ASI सर्वे कराने का निर्देश जारी किया था. इसके विरुद्ध मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने  24 जुलाई को सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक लगा दिया और फिर सलाह दी कि इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएं. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर को लेकर  इलाहाबाद हाई कोर्ट में जितेंद्र सिंह विसेन व अन्य की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें मांग की गई है कि परिसर को सील कर वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश को रोका जाए. अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम इस याचिका का दायर किया गया है.


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