Varanasi News: विश्व की धार्मिक राजधानी काशी में होने वाले तीन दिवसीय लक्खा मेले में इस बार भक्तों को 40 तरह की नानखटाई का भोग लगाएंगे. इसी भोग से रथयात्रा के दौरान घर घर में प्रसाद मिलेगा. मेले से पहले नाथों के नाथ भक्तों के प्यार से बीमार हो जाते हैं. इसी दौरान भक्त भी अपना नाथ की पूरी सेवा करते हैं. भक्तों की  इसी सेवा के बाद ही नाथ स्वस्थ होकर काशी की गलियों से निकलते हैं. फिर शुरु होती है भगवान की रथयात्रा और लक्खा मेला. इस बार इस खास पर्व में भक्त अपने प्रभु को 40 तरह की नानखटाई को भोग लगा सकेंगे. 


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भोग लगाने का है विधान
सात जुलाई से शुरू हो रही रथयात्रा और मेले में हर बार की तरह ही भक्त भगवान को नानखटाई का भोग चढ़ाएंगे. भक्त इसी को प्रसाद स्वरूप घर भी लेकर जाते हैं. खास बात यहा कि इस बार भगवान जगन्नाथ भक्तों की तरफ से 40 प्रकार से ज्यादा तरह की नानखटाई का भोग अर्पित किया जाएगा. ज्ञात है कि हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा करने के साथ भोग लगाने का भी विधान है. 


40 प्रकार की होगी नानखटाई
आपको बता दें कि इस पर्व के दौरान रथयात्रा का लक्खा मेला और नानखटाई से संबंध बहुत खास रहा है. इस पल का इंतजार केवल श्रद्धालु ही नहीं बल्कि नानखटाई से जुड़े व्यापारियों को भी रहता है. हालांकि समय बदलने के साथ साथ भोग वाली नानखटाई भी बदलकर आधुनिक हो गई है. इस बार के रथयात्रा मेले में भगवान जगन्नाथ को नारियल, काजू, पिस्ता जैसी करीब 40 से ज्यादा आकर्षक फ्लेवर की नानखटाई बनाई जाएंगी. 


भगवान विष्णु के हैं अवतार
सनातन और हिंदु धर्म में भगवान जगन्नाथ को प्रभु विष्णु का अवतार माना जाता है. इनके नाम का अर्थ है पूरे जगत का नाथ. हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है. भगवान की रथयात्रा में उनके साथ प्रभु के बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा होती हैं.


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