Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा को जारी रखने का आदेश दिया है. इससे पहले वाराणसी जिला अदालत ने भी इस मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ ही मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट पहुंचा था. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने ये फैसला दिया है. जिला जज के फैसले को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा है कि तहखाने में पूजा होती रहेगी. कोर्ट ने 15 फरवरी को दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. मुस्लिम पक्ष SC कोर्ट जाने की तैयारी में है.


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इलाहाबाद HC के आदेश की मुख्य बातें
1937 से लेकर दिसंबर 1993 तक किसी भी वक़्त इस तहखाने पर मुस्लिम पक्ष का अधिकार नहीं रहा.
हालांकि हिंदू पक्ष प्रथम दृष्टया 1551 से ही इस जगह पर कब्जे को साबित करने मे कामयाब हो रहा है. 
1993 तक तहखाने में चल रही पूजा को राज्य सरकार ने बिना किसी लिखित आदेश के गैरकानूनी कार्रवाई करके रोक दिया.
आर्टिकल 25 देश के आम नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है. 
इस अधिकार को सरकार मननाने तरीके से नहीं छीन सकती.
तहखाने में पूजा अर्चना करते आये व्यास परिवार को सिर्फ मौखिक आदेश के जरिये पूजा अर्चना के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.
31 जनवरी को दिये जिला जज के आदेश पर ये कहते हुए कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है कि जज ने अपने कार्यकाल के आख़री दिन ऐसा आदेश पास किया है( कोर्ट ने इसे ग़लत माना).


ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया के आदेश की पहली अपील को खारिज कर दिया है जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ निर्देशित की गई थी। आदेश का प्रभाव यह है कि ज्ञानवापी परिसर के 'व्यास तहखाना' में चल रही पूजा जारी रहेगी। अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट आती है तो हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी कैविएट दाखिल करेंगे।



ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ता प्रभाष पांडे ने कहा, "आज अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है... पूजा जारी रहेगी... सनातन धर्म के लिए यह बड़ी जीत है... वे(मुस्लिम पक्ष) इसमें रिव्यू कर सकते हैं या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।"



मिलती रही तारीख
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 15 फरवरी को जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट में मुस्लिम पक्ष-अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई थी. हिंदू पक्ष को वाराणसी जिला जज ने अनुमति दे दी थी. इसी आदेश को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी है. इस मामले में 2 फरवरी को पहली सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 6 फरवरी लगाई थी, फिर 7 फरवरी और आगे 12 फरवरी की डेट पर सुनवाई हुई.  इसके बाद अगली सुनवाई की डेट 15 फरवरी लगी थी.


ज्ञानवापी में पूजा को लेकर फिर भड़का मुस्लिम पक्ष 
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के पहले मुस्लिम पक्ष का विवादित बयान -अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने मुस्लिम समाज को उकसाने वाला बयान जारी किया किया. भारत की अदालतों की तुलना पाकिस्तान से की है. देश में संविधान का कत्ल किया जा रहा है. 31 जनवरी के वाराणसी जिला जज के फैसले पर फिर सवाल उठाए. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आने वाले फैसले के पहले ही संदेह जताया. न्यायप्रिय लोगों को अब न्यायालय पर विश्वास नहीं है. वाराणसी के प्रशासनिक अधिकारियों पर भी  सवाल उठाए. कमेटी के ज्वाइंट सेकेट्री एस एम यासीन का पत्र सोशल मीडिया पर  वायरल हो रहा है.


तहखाने में पूजा अर्चना
मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी. जिला जज ने 31 जनवरी को तहखाना में पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था. जिला जज के आदेश पर उसी दिन देर रात तहखाने को खोलकर पूजा अर्चना शुरू की गई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जिला जज के आदेश पर रोक नहीं लगाई थी. जिसके चलते जिला कोर्ट के आदेश के तहत व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना हो रही है. हाईकोर्ट के फैसले में यह तय होगा कि व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना जारी रहेगी या उस पर रोक लगेगी.


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