Varanasi News/Dinesh Kumar Mishra: मठों में आप वेद वाणी और मंत्रों की गूंज सुनते आ रहे हैं. मठों में जहां धोती और जनेऊ धारण कर वेद छात्र शास्त्रों पर शास्त्रार्थ करते नज़र आते हैं, वही इन दिनों वाराणसी के मठों में आपको एक नई तस्वीर नज़र आएगी.


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शास्त्र के साथ शस्त्र विद्या
अब मठों में वेद छात्र जिन्हें बटुक कहा जाता है वो इन दिनों शास्त्र के साथ-साथ आत्मरक्षा के दाव-पेंच सिख रहे हैं. बटुको को कराटे,  ताईक्वानडो की ट्रेनिंग दी जा रही है. धर्म नगरी काशी में बटुक वेद छात्रों को हिंदुत्व और हिंदू के रक्षा के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. 


वेद और संस्कृत का ज्ञान
मठों में हिंदू बच्चों को वेद और संस्कृत का ज्ञान दिया जाता है , जो आगे चलकर कथावाचक, अर्चन , पुजारी धर्मगुरु , पुरोहित बनते हैं. पर अब वाराणसी के कैलाशपुरी मठ में शास्त्र के साथ-साथ नई परंपरा की झलक दिखाई पड़ेगी. आप देख रहे होंगे कि धोती जनेऊ धारण किए यह छात्र पहले तो ध्यान लगाते हैं , मंत्रों के उच्चारण से ख़ुद को जागृत करते हैं फिर उसके बाद यह आत्मरक्षा के गुण कराते और ताईक्वानडो से सिख रहे हैं. प्रत्येक दिन इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. 


सुबह कि ट्रेनिंग
बटुक भोर में साढ़े चार बजे उठ कर पहले वेद की पढ़ाई करते हैं ,उसके बाद इन्हें सुबह आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक प्रैक्टिस करवाया जा रहा है. प्रशिक्षण के लिए बाक़ायदा इनके लिए राष्ट्रीय स्तर का कोच भी नियुक्त किया गया है. कोच इन्हें प्रत्येक दिन आकर ट्रेनिंग दे रहे हैं. बटुको को ऐसी प्रैक्टिस दी जा रही है कि यदि कभी ज़रूरत पड़े तो यह सामने वाले प्रतिद्वंदी को पठखनी दे सके.


वेद के साथ आत्मरक्षा की ट्रेनिंग
कैलाश पूरी मठ में इसकी शुरुआत हुई है. आने वाले समय में यह ट्रेनिंग अधिक से अधिक मठों में दी जाएगी जहां के वेद बटुक छात्रों को आत्मरक्षा के गुण सिखाये जाएँगे. मठ प्रबंधन का कहना है कि जिस तरह बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार देखा गया, ऐसे में ऐसी घटनाओं को लेकर यह शुरुआत की गई है. भविष्य में ऐसी कोई भी घटना हो तो ख़ुद का रक्षा किया जा सके और वेद छात्र उस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें.