शाजी जमा की किताब 'अकबर' के मुताबिक, अकबर दोनों बेटों के नशे से परेशान थे. जबकि तीसरा बेटा सलीम यानी जहांगीर नूरजहां को लेकर अकबर का दुश्मन बन गया.
पहरा बैठाने पर जब दानियाल को शराब नहीं मिल पा रही थी तो उसने अपनी बंदूक की नली में शराब डालकर पी ली थी.
बताया गया कि बंदूक की नली में जंग लगी थी, शराब पीते ही दानियाल बीमार हो गया और कुछ ही दिन बाद उसकी मौत हो गई;
वहीं, अकबर के बड़े बेटे मुराद को भी शराब पीने की लत लग गई. उसकी भी शराब पीने से मौत हो गई.
कहा जाता है जब अकबर के करीबी मिर्जा असद बेग दकन से लौटकर आए तो बादशाह के लिए हुक्का लेकर आए.
अकबर ने हुक्के को सिर्फ एक बार हाथ लगाया. इसके बाद दूसरी बार उसे छुआ तक नहीं.
जानकारों के मुताबिक, मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में भारत में तंबाकू का नशा शुरू हुआ, जो कुछ ही दिनों में चरम पर पहुंच गया.
कहा जाता है कि अकबर के दरबार में वर्नेल नाम का एक पुर्तगाली आया था. पुर्तगाली ने अकबर को तोहफे में एक चिलम भेंट में दी थी.
पुर्तगाली ने चिलम के साथ अकबर को तंबाकू भी भेंट किया था.
अकबर को चिलम बहुत पसंद आई थी. कहा जाता है कि पुर्तगाली ने अकबर को चिलम पीना भी सिखाया था.
यही वजह है कि कहा जाता है कि तंबाकू और शराब का नशा मुगलकाल में शुरू हुआ था, जो आज तक चला आ रहा है. बाबर से लेकर औरंगजेब तक शराब कबाब के शौकीन थे.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.