5 लाख नागा सन्यासी और महामंडलेश्वर के साथ अखाड़ों में सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है, शैव संप्रदाय के इस अखाड़े की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. इनके ईष्ट देव महादेव और गुरु दत्तात्रेय हैं. माना जाता है कि अखाड़े का केंद्र वाराणसी का हनुमान घाट है.
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ( प्रयागराज) विक्रम संवत् 805 में स्थापित हुआ. इन संतों के इष्ट देव कपिल भगवान हैं. बिहार के हजरीबाग जिले स्थित गडकुंडा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में इसका गठन हुआ. अखाड़े को शक्ति के रूप में भाले दिए गए हैं.
श्री शंभू पंच अटल अखाड़ा की स्थापना 569 इस्वी में गुजरात के गोंडवाना क्षेत्र में की गई जिसके ईष्ट देव आदि गणेश गजानन हैं. अखाड़े में शंभू पंच ही सर्वोपरि होता हैं.
आह्वान अखाड़े की स्थापना 600 ईस्वी में होना बताया जाता है. इसकी स्थापना 547 ईस्वी में की जाने की बात अखाड़े से जुड़े संत-महंत बताते हैं. हलांकि 1547 में इसकी पुनर्स्थापना की गई. ईष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन हैं अखाड़े का केंद्र काशी में है.
श्री पंचायती आनंद अखाड़े की स्थापना 855 ईस्वी में मध्यप्रदेश के बरार में की गई. सूर्य नारायण इसके ईष्ट देव हैं. निरंजनी अखाड़े का छोटा भाई आनंद अखाड़े का इसका केंद्र वाराणसी में है. यह अखाड़ा कुंभ आदि पर्वों पर निरंजनी अखाड़े के साथ अपनी पेशवाई निकालता है.
पंचाग्नि अखाड़ा शैव संप्रदाय से है जिसकी स्थापना 1136 ईस्वी में हुई. इसका मुख्य केंद्र वाराणसी में है. परंपरानुसार पंचाग्नि अखाड़ा की शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं.
श्री नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा को अहिल्या-गोदावरी संगम पर ईस्वी 866 में पीर शिवनाथजी ने स्थापित किया. जिनका मुख्य दैवत गोरखनाथ है और अखाड़े में बारह पंथ हैं. यह संप्रदाय योगिनी कौल नाम से जाना जाता है.
1595 में दारागंज में श्री वैष्णव अखाड़ा की स्थापना हुई थी. समय के साथ, अखाड़े में तीन संप्रदाय बनाए गए निर्मोही, निर्वाणी, और खाकी. इस अखाड़े का मुख्यालय त्र्यंबकेश्वर में था पर 1932 से नासिक में स्नान किया जाता है.
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के ईष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र जी भगवान व ब्रह्मा जी के चारों पुत्र हैं. अखाड़े को श्री चंद्रआचार्य उदासीन ने 1910 में स्थापित किया.
निर्मल अखाड़ा गुरु गोविंद सिंह महाराज के साथ ही गुरुग्रंथ साहब को आराध्य मानता है. इस अखाड़ा है चिलम, सिगरेट जैसी चीजों की सख्त मनाही है.
उदासीन सम्प्रदाय से सम्बंधित नया उदासीन अखाड़े (Naya Udasin Akhada) का प्रमुख केंद्र कनखल, हरिद्वार में हैं जिसका पंजीकरण ईसवी सन 1902 करवाया गया.
निर्मोही अखाड़ा, श्रीरामानन्दी वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है. निर्मोही अखाड़े की स्थापना 4 फ़रवरी, 1720 को वाराणसी की गई. यह अखाड़ा आर्थिक रूप से संपन्न है.
निरंजनी अखाड़ा,जूना अखाड़े के बाद सबसे ताकतवर माना गया है. यह अखाड़ा विशेष इसलिए भी है क्योंकि यहां के 70 फीसदी संन्यासी न सिर्फ धार्मिक जीवन जी रहा हैं बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर भी है.
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