दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की मार से हाहाकार मचा हुआ है. आम आदमी का सांस लेना दूभर हो गया हैं. घर से बाहर का माहौल गैस चैंबर का एहसास कराता है.
हवा को खराब करने वाले कई कारण हैं, जो विलेन साबित हो रहे हैं, इसलिए ही एक्यूआई कम नहीं हो रहा. अगर इन कारणों पर कार्रवाई की जाए तो पॉल्यूशन लेवल किम किया जा सकता है. आइए जानते हैं.
शहरी और ग्रामीण इलाकों में जुगाड़ वाहन खुलेआम चल रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक आम वाहनों की अपेक्षा जुगाड़ वाहन से अधिक धुआं निकलता है.
एनजीटी की सख्ती के बाद भी बड़ी संख्या में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियां चल रहीं हैं। लोनी में ऐसी फैक्ट्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है। शहर में जेनरेटर भी जमकर चल रहे हैं। इन सबसे निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित कर रहा है.
10 से 15 साल पुराने वाहन जिनका आरटीओ की तरफ से रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा चुका है,वे प्रदूषण स्तर को बढ़ा रहे हैं.
कई जगह पर कूड़ा जलाया जाता है जिसकी वजह से धुआं उठता है और हवा को खराब करता है. पंजाब-हरियाणा में जलाई जा रही पराली भी प्रदूषण का एक कारण है.
कई जगहों पर खुले में निर्माण सामग्री रखी दी जाती है, उन्हें ढका भी नहीं जाता है. सड़क किनारे होने के कारण व्हीकल के आवागमन से वह उड़ती रहती है.
शहर के अलग-अलग एरिया में जाम रहता है। जाम के दौरान वाहन चालू रहता है। धुआं निकलता है, जिससे हवा में पीएम-2.5 का लेवल बहुत तेजी के साथ बढ़ जाता है.
अधिकांश सड़कों की सफाई मैनुअल तरीके से होती है, जिससे धूल उड़ती है और हवा में पीएम-10 का लेवल बढ़ जाता है. कई सड़कों के किनारे धूल जमी होती है और हवा चलने पर धूल उड़कर पॉल्यूशन का ग्राफ बढ़ाती है.