अपने कार्यकाल में मुगल सल्तनत ने भारत को बहुत हानी पहुंचाई है, जिस कारण आज भी इतिहास ने मुगलों को माफ नहीं किया है.
दिल्ली के मशहूर लाल किले के सामने श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है, मगर आखिर लाल किले के सामने यह भव्य मंदिर बना तो बना कैसे.
17वी शताब्दी में बादशाह जहांगीर ने दिल्ली के दरीबा में कई जैन व्यापारियों को रहने के लिए जमीनें दी, जिस कारण वे राजधानी में व्यापार कर इसका उद्धार कर सकें.
औरंगजेब के शासन में मुगल दरबार की शान काफी हद तक जैन समाज के लोग ही थे.
मुगल सेना में मौजूद एक जैन सिपाही ने लाल किले के सामने एक शामियाने के अंदर जैन तीर्थंकर की प्रतिमा स्थापित कर दी थी, जिसके बाद कई जैन सिपाहियों ने वहां पूजा करनी शुरू कर दीं.
औरंगजेब के शासन में मंदिरों में ढ़ोल नगाड़े बजाना हर तरह से वर्जित था मगर लाल मंदिर में वे ढ़ोल नगाड़े खुद ब खुद बजते थे, यह दृश्य देख खुद औरंगजेब ने कहा था कि हम चमत्कारों को नहीं रोक सकते.
उस समय श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, लश्करी मंदिर और उर्दू मंदिर के नाम से जाना जाता था.
आज श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर अपनी उस कथा से हर किसी का मन मोह लेता है.