महाभारत दुनिया के सबसे बड़े युध्द महाभारत में कई योध्दा ऐसे थे जो एक ही पल में युद्ध समाप्त कर सकते थे.
आज हम आपको एक ऐसे ही एक योद्धा के बारें में बताने जा रहे है. जिसने अर्जुन से शिक्षा प्राप्त की थी.
सात्यकि की नाम शायद ही आपने सुना होगा. सात्यकि को शनि का पुत्र मानते है. 'दारुक', 'युयुधान' तथा 'शैनेय' नाम से भी सात्यकि को जाना जाता है.
महाभारत युद्ध के समय सभी बलशाली यहां तक कि श्री कृष्ण की नारायणी सेना भी कौरवों की तरफ से लड़ने को तैयार थी.
तब सात्यकि ने अर्जुन का शिष्य होने के नाते कृष्ण भगवान से वितनी पांडवों की तरफ से युध्द में शामिल होने की विनती की.
सात्यकि ने अपने अमित तेज़ तथा रणकौशल के बल से द्रोणाचार्य, कौरव सेना, कृतवर्मा, कंबोजों, यवन सेना, दु:शासन आदि योद्धाओं को पराजित कर दिया था.
सात्यकि ने अनेक बार कर्ण को पराजित किया, रथहीन भी किया, किंतु कर्ण को मारने की जो प्रतिज्ञा अर्जुन ने कर रखी थी, उसे स्मरण कर उसने कर्ण का वध नहीं किया.
भूरिश्रवा से युद्ध के दौरान सात्यकि खंडित हो गया और वह नीचे गिर गया लेकिन तभी अर्जुन ने आकर भूरिश्रवा का वध कर दिया. श्रीकृष्ण को पहले से ही आभास था कि भूरिश्रवा सात्यकि को परास्त करेगा.
श्रीकृष्ण और अर्जुन की वजह से सात्यकि महाभारत के युद्ध में अंत तक जीवित रहा.