अलीगढ़ की मौलाना आजाद लाइब्रेरी कई मायनों में खास है. यह एशिया की दूसरी बड़ी लाइब्रेरी में शुमार है. इसकी 7 मंजिला इमारत 4.75 एकड़ में फैली हुई है. आइए जानते हैं क्यों खास है ये लाइब्रेरी.
यूपी के रामपुर और प्रयागराज की लाइब्रेरी भी बड़ी लाइब्रेरी में से एक है. जानते हैं यूपी की इन बेहतरीन लाइब्रेरी के बारे में.
इस लाइब्रेरी में लगभग 14 लाख से ज्यादा किताबों का खजाना है. इस लाइब्रेरी की नींव अंग्रेज वायसराय लॉर्ड लिटन ने सन् 1877 में रखी थी.
वर्तमान इमारत का उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. लाइब्रेरी का नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री के नाम पर मौलाना आजाद पुस्तकालय पर रखा गया था.
में यहां डेढ़ लाख से ज्यादा किताबों का संग्रह है, जिसमें साइंटिफिक कलेक्शन भी है. लाइब्रेरी में 18वीं और 19वीं शताब्दी की किताबें भी हैं.
इस लाइब्रेरी की एक खासियत है कि इसमें कुरान और भगवत गीता दोनों ही उपलब्ध हैं. यहां इस्लाम-हिंदू धर्म आदि की लगभग 16,117 अमूल्य किताबें हैं.
इस लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां पर 1400 साल पुरानी कुरान की एक लिपि भी मौजूद है. लाइब्रेरी में अबुल फैज द्वारा भगवत गीता का फारसी अनुवाद भी है.
लाइब्रेरी में रामायण, महाभारत, पुराण और गीता का अरबी व फारसी में मुगलों के दौर में अनुवाद की गईं किताबें हैं. यहां इस्लाम धर्म के चौथे खलीफा हजरत अली का लिखा हुआ कुरान भी है.
मौलाना आजाद लाइब्रेरी में रीडर्स सर्विस डिवीजन है.रिसर्च स्कॉलर के लिए अलग डिवीजन है. सामान्य छात्रों के लिए जनरल हॉल.लड़कियों और नेत्रहीनों के लिए भी अलग रीडिंग हॉल है.
किताबों को संग्रह करने के लिए कंजर्वेशन लैब बनाई गई है. लगभग 8 हजार से अधिक लोग रोज आते हैं. यह लाइब्रेरी रात 2 बजे तक खुलती है. अब बात करते हैं यूपी की अन्य बड़ी लाइब्रेरी के बारे में.
यूपी के रामपुर में रजा लाइब्रेरी जो एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक है. इसकी शुरुआत नवाब फैजुल्लाह खान ने 1774 में की थी.
इस लाइब्रेरी में 500,000 से ज़्यादा पांडुलिपियों का संग्रह है, जो मुख्य रूप से अरबी, फ़ारसी और उर्दू साहित्य पर केंद्रित हैं. लाइब्रेरी के खजाने में 17,000 पांडुलिपियां और 60,000 किताबें हैं.
रजा लाइब्रेरी में हिंदी, पश्तो, संस्कृत, अरबी, फारसी, तमिल, तुर्की, और अन्य भाषाओं के दुर्लभ संग्रह शामिल हैं.
यह पुस्तकालय प्रदेश के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक है.जिसकी स्थापना 1864 में हुई थी
इस ऐतिहासिक पुस्तकालय में 1.2 मिलियन से ज़्यादा किताबें हैं. जिनमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ औपनिवेशिक दस्तावेज़ और पांडुलिपियाँ शामिल हैं.
पुस्तकालय में 1 लाख से अधिक पुस्तकें, 22 समाचार पत्र और 34 मैगजीन तथा उर्दू, अरबी, फारसी, पर्शियन,बांग्ला भाषा की कई पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां पर अंग्रेजों के जमाने के गजेटियर, पुराने गजट, शाहनामा, महाभारत जैसे कई पौराणिक और साहित्यक किताबें भी मौजूद हैं.