उत्तर प्रदेश के झांसी शहर बरुआ सागर नामक एक बहुत बड़ी झील है. जोकि तकरीबन 260 साल पहले बनाई गई थी
यह झील ओरछा के राजा उदित सिंह ने बनवाया था. वहीं इसके साथ उन्होंने एक किला भी बनवाया था.
झील के पास एक महर्षि श्रृंगीऋषि का मंदिर भी है. मान्यता है की यहीं पर महर्षि श्रृंगीऋषि भगवान राम की बहन माता शांता से विवाह किया था.
बरुआ सागर के तटबंध तक जाने के लिए सभी को यह महर्षि श्रृंगीऋषि मंदिर पार करना होता है.
बरुआ सागर के तट पर मौजूद किले को रानी लक्ष्मी बाई का ग्रीष्मकालीन महल के नाम से जाना जाता था.
झील के उत्तर-पूर्व में ग्रेनाइट से बने हुए दो पुराने चंदेला मंदिरों के खंडहर हैं. जिसको प्राचीन समय में घुघुआ मठ के नाम से जाना जाता था.
झील के पास एक गुप्तकालीन मंदिर भी है. जिसके जराई-का-मठ कहा जाता है.
बरुआ सागर को 1744 ई. में हुई बुंदेलों और मराठों के मध्य हुई लड़ाई के युद्ध स्थल के रूप में भी जाना जाता है.
बरुआ सागर किला और जराई-का-मठ दोनों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अपने संरक्षण में लिया हुआ है.