साल 1671 था जब मुगल सेना और अहोम कमांडर लाचित बोरफुकन की सेना के बीच युद्ध हुआ. यह युद्ध सराईघाट में हुई.
इसी युद्ध के समय मुगल शासक औरंगजेब की फौज भूतों से डर गई और फिर आखिर में मुंह की खानी पड़ी.
दरअसल, महान योद्धा लाचित बोरफुकन द्वारा गुवाहाटी पर दोबारा विजयी हासिल करने के बाद जीतने के बाद औरंगजेब गुस्से से भर गया.
और फिर औरंगजेब ने आमेर के राजा राम सिंह की अगुआई में एक विशाल फौज को असम की ओर रवाना कर दिया.
1669 में असम पहुंची मुगल सेना गुवाहाटी की तरफ बढ़ने लगी थी लेकिन सेना का गुवाहाटी में प्रवेश इतना भी आसान नहीं था.
लाख कोशिशों के बाद भी गुवाहाटी में सेना नहीं घुस पाई और सराईघाट के पहाड़ों में जा फंसी.
जिसके बाद कमांडर लाचित की सेना ने रात के समय ही मुगल शिविरों पर अचानक हमला बोल दिया.
इसी बीच आग की तरह एक अफवाह फैल गई कि अहोमों के पास राक्षसी शक्तियां हैं जो रात के समय और बढ़ जाती हैं. यहीं कारण है हमला रात को किया गया.
कमांडर लाचित को जब इस बारे में पता चला तो वो भूत का भेष धरे अपने सैनिकों को मौके पर भेज दिया, सैनिकों ने मुगल सिपाहियों को खुब डराया.
इस सूझबूझ का ये फल निकला कि मुगल की सेना आगे नहीं बढ़ पाई और सराईघाट का युद्ध हार गई. अहोम सैनिक की इस युद्ध में जीत हो गई.
नोट- मुगलकालीन पात्रों की यह कहानी मान्यताओं और इतिहासकारों की पुस्तकों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.