खुद को श्रीकृष्ण मानने वाला महाभारत का योद्धा, चार हाथ और सुदर्शन चक्र लेकर मचाया गदर

Amrish Kumar Trivedi
Jun 24, 2024

श्रीकृष्ण की नकल

भगवान श्रीकृष्ण के बारे में कौन नहीं जानता, लेकिन महाभारत काल में एक और राजा था, जिसने खुद को भगवान मान लिया और श्रीकृष्ण की पूरी नकल भी करने लगा.

पिता का नाम वासुदेव

भगवान श्रीकृष्ण के जैसी पौंड्रक के बारे में एक बात और थी- पौंड्रक के पिता का नाम भी वसुदेव था.

असली कृष्ण का दावा

पौंड्रक वो राजा था जो खुद को असली कृष्ण बताता था. वह रूषदेश यानी मीरजापुर का राजा था. कई लेखों में पौंड्रक के काशी नरेश, चुनार देश का राजा करुपदेश या करूप देश का राजा कहते हैं.

लकड़ी की भुजाएं

कृष्ण बनने की सनक उस पर इस कदर सवार थी कि उसने लकड़ी के दो हाथ भी जुड़वा लिए थे और अपनी चार भुजाएं कर ली थीं.

मायावी विद्या का जानकार

पौंड्रक कुछ मायावी विद्याएं जानता था और इसी का इस्तेमाल करते हुए कृष्ण के द्वारा धारण की जैसी चीजें लिए घूमा था.

श्रीकृष्ण जैसा चाल ढाल

उसने अपना नकली सुदर्शन चक्र, मोर मुकुट, शंख, तलवार, कौस्तुभ मणि तक बना लिए थे. उसने श्रीकृष्ण जैसी चाल ढाल तक अपना ली थी.

विष्णु के अवतार का दावा

पौंड्रक के सेनापति-मंत्री भी उसे ऐसी ही सलाह देकर भगवान विष्‍णु का अवतार बताते थे. दरबारियों का कहना था कि मथुरा वाला कृष्ण तो सांवले रंग का ग्‍वाला है.पूरी पृथ्वी के स्वामी तो आप हो.

जरासंध का दोस्त

जब कंस का रिश्तेदार जरासंध की तरह वो भी कृष्ण का बड़ा दुश्मन था. जब जरासंध ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए मथुरा पर हमला किया तो पौंड्रक भी विशाल सेना के साथ उनके साथ था.

उपहास उड़ाया

पौंड्रक ने उलटे भगवान श्रीकृष्ण को नकली बताकर उन्हें खूब बुरा-भला कहना और उपहास उड़ाना शुरू कर दिया. द्वारिका में श्रीकृष्ण के दरबार में दूत भेजकर भी धमकी दी.

वासुदेव को भेजा दूत

दूत को भेजे संदेश में पौंड्रक ने कहा, तुम जो वासुदेव होने का ढोंग कर रहे हो, उसे त्याग दो और असली वासुदेव पौंड्रक की शरण में आ जाओ और युद्ध करो. दरबार में ठहाके गूंज पड़े.

युद्ध के लिए ललकारा

शिशुपाल की तरह पौंड्रक की धमकी को पहले श्रीकृष्ण ने नजरअंदाज किया फिर उसका दुस्साहस बढ़ता गया. पौंड्रक ने श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तो उसकी चुनौती स्वीकार कर ली.

पीतांबर वस्त्र

पौंड्रक कृष्ण की तरह पीतांबर वस्त्र पहनकर, लकड़ी के दो हाथ लगाकर और विशाल सेना लेकर युद्धभूमि में पहुंचा था, जबकि श्रीकृष्ण अकेले थे.

पौंड्रक का वध

चक्र धारण कर पौंड्रक दो अक्षौहिणी (करोड़) की सेना लेकर युद्धभूमि में आया. उसने श्रीकृष्ण को ललकारा और तब श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र छोड़कर पौंड्रक को मार डाला.

पौंड्रक का पुत्र

पौंड्रक के पुत्र सुदक्षण ने कृष्ण के वध के लिए यज्ञ कुंड से एक भयंकर कृत्या प्रकट की. उसके हाथ में त्रिशूल था. आंखों से आग की लपटें और जीभ बाहर लटकी हुई थी. लेकिन द्वारका में कृष्ण ने उसका भी वध कर डाला

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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