भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार और उनके अटूट रिश्ते का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं.
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक एक मंदिर उत्तर प्रदेश के बिजनौर में भी हैं. इस मंदिर को भाई बहन का मंदिर बोला जाता है.
ये मंदिर हल्दौर(बिजनौर)चुड़ियाखेड़ा के जंगल में बना है. ये मंदिर भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. सदियों से भाई-बहन के मंदिर में पूजा अर्चना होती चली आ रही है. ये मंदिर सतयुग काल से जुड़ा बताया जाता है.
चुड़ियाखेड़ा के जंगल में एक अति प्राचीन सर्व मनोकामना पूर्ण शक्ति पीठ मंदिर है. इस मंदिर में भाई बहन की देवी- देवता के रूप में शिला विराजमान हैं.
हालांकि मंदिर में अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. क्षेत्रीय लोग इस मंदिर में अटूट आस्था रखते हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक और किंवदंती के अनुसार सतयुग के दौरान एक भाई अपनी बहन को उसकी ससुराल से लेकर घर लौट रहा था.चिड़ियाखेड़ा के पास डाकुओं ने बहन भाई को जबरन रोक लिया.
स्थानीय लोगों के मुताबिक और किंवदंती के अनुसार डाकुओं से घिरने के बाद बहन की इज्जत बचाने के लिए भाई ने ईश्वर से प्रार्थना की थी.
जिस पर दोनों भाई-बहन पत्थर की शिला में बदल गए थे. भैयादूज और रक्षाबंधन के मौके पर स्थानीय लोग इस मंदिर की कहानी सुनाते नजर आते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि तब से अब तक भाई-बहन की दोनों मूर्तियां पत्थर के रूप में मंदिर में विराजमान हैं.
भाई-बहन की मूर्तियां सतयुग के काल की बताई जाती हैं. मंदिर में हर साल आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा को भंडारे का आयोजन होता है. भाई दूज पर यहां पर मेला लगता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी इस मंदिर में माथा टेकता है और सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है तो देव रूपी भाई बहन के आशीर्वाद से उनकी दीर्घायु होती है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.