धनतेरस पर विशेष दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है. पहला दीपक यमदेव के नाम का जलाया जाता है जिसे आम बोलचाल में जम का दीपक करते हैं.
यम के निमित्त दीपक जलाने की विधि ये है कि पूरा परिवार जब सो जाए तब एक सदस्य इस दीए को जलाए. यम का दीपक सरसों के तेल से पुराने दीये में जालाया जाता है.
घर से बाहर कूढ़े के ढेर या नाली के पास दीये को दक्षिण दिशा में रखें. दक्षिण दिशा यम की है.
इस दौरान मंत्र बोलें - मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’ इससे मृत्यु का भय दूर होता है. नर्क की यातनाओं मुक्ति मिलती है.
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में करने से अधिक शुभफल मिलता है. इस दिन शाम के समय घर के बाहर 13 दीपक जलाएं
इन 13 में से मुख्य द्वार पर दो दीपक जलाकर रखें और बाकी के दीपक आंगन में जलाएं. ये दीप नकारात्मक ऊर्जा को घर में नहीं प्रवेश करने देंगे.
धनतेरस पर पूरे घर में दूसरा दीपक लेकर बुजुर्ग सदस्य घुमाते हैं और बाहर कहीं दूर दी को रख आते हैं. इससो नकारात्मक शक्तियां दूर होती है और खुशियां घर आती हैं.
धनतेरस और दीपावली की रात रात में किसी भी मंदिर में गाय के घी का दीया जलाएं. इससे आय में वृद्धि होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है. घर में सुख समृद्धि आती है.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.