भेड़िया ही नहीं, सुअर-लंगूर जैसे इन जानवरों को मारने की मनाही, जानें कितने साल की सजा

Shailjakant Mishra
Sep 03, 2024

जानवरों का आतंक

बहराइच से लेकर बाराबंकी तक कई जानवरों ने आतंक मचा रखा है. आए दिन हमले से ग्रामीण दहशत में हैं.

जानवर क्यों नहीं मारते

लोगों के मन में सवाल आता है कि जब ये जानवर लोगों को इस तरह परेशान कर रहे हैं तो इनको मार क्यों नहीं दिया जाता है.

शिकार पर प्रतिबंध

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में जानवरों के शिकार पर पाबंदी है. इसको लेकर कानून भी बनाए गए हैं.

जेल और जुर्माना

जानवरों को मारने या शिकार करने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं. आईपीसी की धारा 428 और 429 में सजा का प्रावधान है.

वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्य जीव पर हमला करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल सजा और जुर्माना हो सकता है.

नहीं मार सकते जानवर

लिस्ट में भेड़िया, सूअर,लंगूर, लोमड़ी, बंदर, भालू, गैंडा जैसे कई जानवर शामिल हैं. जिनको नहीं मारा जा सकता है.

बंदरों को सुरक्षा

वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है. कानून कहता है कि बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है.

जानवरों को लड़ाना भी अपराध

जानवरों को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना अपराध है.

पशु बलि देना गैरकानूनी

स्लॉटरहाउस रूल्स 2001 के मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में पशु बलि देना गैरकानूनी है.

पालतू जानवर को छोड़ने पर सजा

पालतू जानवर को घर से निकालने पर तीन महीने तक की जेल हो सकती है. PCA एक्ट, 1960 में ऐसा प्रावधान किया गया है.

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