बहराइच से लेकर बाराबंकी तक कई जानवरों ने आतंक मचा रखा है. आए दिन हमले से ग्रामीण दहशत में हैं.
लोगों के मन में सवाल आता है कि जब ये जानवर लोगों को इस तरह परेशान कर रहे हैं तो इनको मार क्यों नहीं दिया जाता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में जानवरों के शिकार पर पाबंदी है. इसको लेकर कानून भी बनाए गए हैं.
जानवरों को मारने या शिकार करने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं. आईपीसी की धारा 428 और 429 में सजा का प्रावधान है.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्य जीव पर हमला करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल सजा और जुर्माना हो सकता है.
लिस्ट में भेड़िया, सूअर,लंगूर, लोमड़ी, बंदर, भालू, गैंडा जैसे कई जानवर शामिल हैं. जिनको नहीं मारा जा सकता है.
वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है. कानून कहता है कि बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है.
जानवरों को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना अपराध है.
स्लॉटरहाउस रूल्स 2001 के मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में पशु बलि देना गैरकानूनी है.
पालतू जानवर को घर से निकालने पर तीन महीने तक की जेल हो सकती है. PCA एक्ट, 1960 में ऐसा प्रावधान किया गया है.