एक पिता और उसे बच्चों के बीच का रिश्ता एक प्रेम कहानी की तरह होता है जो कभी खत्म नहीं होता. बचपन से ही बच्चे अपने पिता को अपना रोल मॉडल मानते हैं.
हर छोटी से छोटी चीज़ पिता अपने बच्चे के साथ करते हैं. उंगली पकड़कर चलना सिखाने से लेकर टू व्हीलर चलाना सिखाने तक का काम पिता ही करते हैं.
बेटे के जन्म के बाद एक पिता को लगता है कि परिवार की जिम्मेदारी संभालने वाला आ गया है. वही बेटियों में पिता की जान बस्ती है.
5 साल की आयु तक बच्चों को लाड़-प्यार से पालना चाहिए. 10 साल तक उन्हें छड़ी की मार से डराना चाहिए. लेकिन जब वह 16 साल के हो जाए तो उन्हें अपना दोस्त बना लेना चाहिए.
बच्चों के बड़े होने के बाद उनका पिता से मनमुटाव होने लगता है. इसकी वजह से पिता और बच्चों के बीच दूरियां आ जाती है.
यह कई कारणों से हो सकते हैं जैसे जनरेशन गैप. उम्र का अंतर उनके बीच दूरियां लाता है.
पिता थोड़े कठोर स्वभाव के होते है. बच्चों को सही राह दिखाने के लिए पिता अक्सर सख्ती दिखाते है.
किसी भी रिश्ते में सोच को लेकर मतभेद रहता है. लेकिन पिता और पुत्र दोनों ही पुरुष होते है इस लिए मेल ईगो उन दोनों का रिश्ता खराब कर देता है.
कई बार पिता अपने बच्चों के लिए सपने देखते है और यह उम्मीद करते है कि बच्चों उनके सपने को पुरा करें लेकिन जब बच्चे उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतरते है तो उनके बीच विवाद हो सकता है.
कोशिश करें की समझदारी से बातचीत कर के आपस की अनबन को हल करें. इग्नोर करना सिखे ताकि विवाद बढ़ने से रोका जा सके
कोशिश करनी चाहिए कि एक दूसरे के विचारों से सहमत हो. इस से विवाद नहीं बढ़ेगा.
अक्सर लोग ऐसे शब्दों का प्रयोग करते है जो दूसरे के दिल को ठेस पहुंचाता है इसलिए कोशिश करें की कोध्र में कुछ न बोलें.
रिश्ता सुधारना चाहते है तो एक दूसरे से बातचीत करना बंद नहीं करें. जब गुस्सा शांत हो जाए तो ठंडे दिमाग से बातचीत करें.