सबके पास नहीं थी घड़ी

दरअसल, देश में आजादी से पहले घड़ी खरीदना या रखना सभी के लिए सामर्थ्‍य की बात नहीं होती थी.

Zee News Desk
Sep 07, 2023

घंटाघर बनाए गए

उस समय हजारों लोग मजदूरी करते थे. ऐसे में शहरों में समय जानने के लिए घंटाघर बनाए गए थे.

बड़ी सी घड़ी

घंटाघर एक तरह की विशेष इमारत होती थी. इसके ऊपर एक बड़ी सी घड़ी लगी होती थी.

घड़ियां बंद

संरक्षण के अभाव में घंटाघर की घड़ियां बंद हो गई हैं.

अलग-अलग तरीके का प्रयोग

पहले घड़ियां सबके पहुंच में नहीं हुआ करती थी सबके पहुंच से दूर थी. हर एक व्यक्ति समय की जानकारी के लिए अलग-अलग तरीके का प्रयोग करता था.

घड़ियां बजती थीं

हर एक घंटे में घड़ियां बजती थीं. इसीलिए टॉवरों पर लगाया जाता था ताकी सबको समय का पता चला सके.

मधुर आवाज

एक बार चाबी भरने के बाद पूरा एक हफ्ते घड़ी चलती थी और हर 15 मिनट के बाद घंटा बजता था. उसकी आवाज बहुत मधुर होती थी.

VIEW ALL

Read Next Story