मकर संक्रान्ति पर लगता है विशाल खिचड़ी मेला

मकर संक्रान्ति के मौके पर यहां विशाल मेला लगता है जो खिचड़ी मेला के नाम से प्रसिद्ध है.

Mar 22, 2024

मंदिर में जलती है अखंड ज्योति

शिव गोरक्ष द्वारा त्रेता युग में जलाई गई अखंड ज्योति आज तक अखंड रूप से जल रही है. यह अखंड ज्योति श्री गोरखनाथ मंदिर के अंतरवर्ती भाग में स्थित है.

कब बने थे योगी मंदिर के महंत

15 फरवरी 1994 को योगी आदित्यनाथ मंदिर के महंत बने थे.

कैसे बना गोरखनाथ मंदिर

गोरक्षनाथ जी ने आ कर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी और उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी, जहां अभी गोरखनाथ मंदिर बना हुआ है.

बाबा गोरखनाथ के नाम पर रखा गया है जिले का नाम

गोरखपुर का नाम बाबा गोरखनाथ के नाम पर रखा गया है. यहां के वर्तमान महंत बाबा योगी आदित्यनाथ हैं.

खिचड़ी चढ़ाने की मानयता है काफी पुरानी

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक त्रेतायुग में गुरु गोरखनाथ हिमाचल के कांगड़ा में स्थित ज्वाला देवी मंदिर गए थे. देवी ने उन्हें दर्शन देकर भोज पर आंमत्रित किया. कई प्रकार के व्यंजन देखकर गोरखनाथ ने ज्वाला देवी से कहा कि वे भिक्षा में मिले दाल-चावल ही खाते हैं.

मकर संक्राति के दिन खिचड़ी का चढ़ता है प्रसाद

मकर संक्राति के समय प्रसाद के तौर पर खिचड़ी चढ़ाई जाती है. इस दौरान यूपी, बिहार, नेपाल सहित अन्य राज्यों से लाखों भक्त यहां खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. गोरखनाथ मंदिर में पहली खिचड़ी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चढ़ाते हैं.

योग औऱ तपस्या भी सिखाई जाती है

गोरखपुर के प्राचीन मंदिर के पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. यह मंदिर नाथ योगियों का महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां योग साधना और तपस्या सिखाई जाती है.

52 एकड़ में फैला है गोरखनाथ मंदिर

गोरखनाथ मंदिर का परिसर 52 एकड़ में फैला हुआ है. मंदिर के भीतर गोरक्षनाथ की संगमरमर की प्रतिमा, चरण पादुका के अलावा गणेश मंदिर, मां काली, काल भैरव और शीतला माता का मंदिर है.

11वीं सदी पुराना है गोरखनाथ मंदिर का इतिहास

महंत अवैद्यनाथ थे यागी के गुरू

राम जन्मभूमि यज्ञ समिति के गठन के वक्त महंत अवैद्यनाथ को इसका अध्यक्ष चुना गया था. इसकी वजह भी थी कि सभी धर्माचार्य उन्हें अपना आदर्श मानते थे. योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने जैविक पिता से भी ऊंचा दर्जा दिया.

योगी आदित्यनाथ से पहले महंत अवैद्यनाथ थे गुरू

उनके पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ थे, जिनकी 12 सितंबर 2014 को मृत्यु हो गई थी, और उन्हें गोरखनाथ मंदिर में उनके गुरु दिग्विजय नाथ के बगल में समाधि दी गई थी।

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