हनुमान जी को हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुण सखा, पिंगाक्ष नाम से जाना जाता है.
बजरंग बली को अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीता शोक विनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता और दशग्रीव दर्पहा नाम से भी पुकारा जाता है.
हनुमान जी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थीं.
हनुमान जी के पिता वायु देव को माना जाता है इसलिए इन्हें पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है.
हनुमान की माता का नाम अंजनी होने के कारण इन्हें अंजनीपुत्र भी कहा जाता है.
मान्यता के अनुसार बाल्यावस्था में हनुमान जी का नाम मारूति था और वे बहुत शरारती भी थे.
एक बार तो बजरंगबली बचपन में सूर्य को फल समझकर खाने के लिए चले गए थे.
हनुमान जी के भक्त मानते हैं कि हनुमान जी की पूजा मात्र से सारे संकट टल जाते हैं और बिगड़े काम भी बन जाते हैं.
पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर हनुमान ने पांच दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया था.
शास्त्रों के मुताबिक समुद्र पार करते समय हनुमान जी के पसीने की बूंद गिरी, जिसे मछली ने धारण किया और उससे मकरध्वज का जन्म हुआ.