हरसिंगार के फूलों का इस्तेमाल अक्सर भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है. इसका सामान्य नाम निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस लिनन है. इस फूल की खुशबू काफी तेज और मनमुग्ध करने वाली होती है. हरसिंगार के फूलों की खुशबू रात भर आती है और सुबह होते-होते धीमी हो जाती है.
औषधीय अध्ययनों के मुताबिक हरसिंगार के पत्ते एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक गुणों से समृद्ध होते हैं. इसके पीछे का कारण इसमें मौजूद साइटोस्टेरॉल नामक केमिकल कंपाउंड को माना जाता है. इसके अलावा, इसकी पत्तियों का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाकर नाक की नली को आराम पहुंचाने में मदद कर सकता है.
आयुर्वेद के मुताबिक हरसिंगार का इस्तेमाल पाचन प्रक्रिया के लिए किया जा सकता है. पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में मदद मिलती है. दरअसल, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक गुण पाए जाते हैं.
अगर आप लंबे समय से सूखी खांसी से परेशान हैं तो इसके पत्तों और फूल से बनी चाय पीकर इस बीमारी से निजात पा सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले गुणकारी तत्व इथेनाल अर्क खांसी और जुकाम में लाभ पहुंचाता है.
इसके तेल का इस्तेमाल स्ट्रेस दूर करने के लिया किया जाता है. इसके मालिश से सेरोटोनिन का लेवल शरीर में बढ़ता है जिससे आपके खुशी वाले हार्मोन जागृत होते हैं. जिससे आप एक्टिव और एनर्जेटिक महसूस करते हैं.
दाद में भी यह हर्बल पौधा बहुत काम आता है. इसके एंटी बैक्टीरियल और एलर्जी वाले गुण ठीक करने में मदद करते हैं. यह बैड बैक्टीरिया को रोकने का काम करते हैं. यह फंगल संक्रमण को फैलने से रोकते हैं.
हरसिंगार (पारिजात) की जड़ की छाल के इस्तेमाल से डायबिटीज के दौरान बढ़ने वाले लिपिड सिरम और ट्राइग्लिसराइड्स (एक तरह का फैट) को कम किया जा सकता है.
हरसिंगार के पत्ते अर्थराइटिस में बहुत फायदा पहुंचाते हैं. इसके इस्तेमाल से साइटिका में होने वाले असहनीय दर्द कम होता है. यह समस्या महिलाओं में बहुत आम है.
अगर आपको तेज बुखार है तो इसके पत्तों और छाल का अर्क बहुत काम आता है. यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे बुखार में बहुत लाभकारी है. इससे कम प्लेटलेस को बढ़ाया जा सकता है.