17 अक्टूबर को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस मामले अपना फैसला सुनाया.
5 जजों का इस कमेटी में किसी एक मुद्दे पर भी आपसी सहमती नहीं बन सकी
आइए आपके सिलसिलेवार तरीके से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझाते हैं.
सीजीआई ने कहा कि इस फैसले से ना सिर्फ शहरी तबके के लोग बल्कि ग्रामीण अंचल के लोग भी प्रभावित होंगे.
सीजीआई ने कहा कि हर संस्था में बदलाव होता है. विवाह में भी कई तरह के बदलाव किये गये है. समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना होगा.
सीजीआई ने समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की भी अनुमति नहीं दिया. इसमें बच्चे के परवरिश का हवाला दिया गया
साल 2020 में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सेम सेक्स कपल्स लिव- इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं.
कोर्ट ने इस बात को साफ कर दिया की समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता सिर्फ संसद दे सकती है. ये कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं हैं.
कोर्ट ने एक राज्य और केंन्द्र सरकार को एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया है. जिसके द्वारा समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रुप में शामिल करना, उनका बैंक में संयुक्त खाता और पेंशन ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकार