रावण के साथ उसकी सोने की लंका के बारे में भी चर्चा जरूर होती है. जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी.
क्या आप जानते हैं कि सोने की लंका कैसे बनी और यह रावण के पास कैसे आई थी. चलिए आइए जानते हैं.
बताया जाता है कि सोने की लंका को शिव जी और पार्वती ने बनाया था.
शिवजी और पार्वती हिमालय पर सामान्य तरीके से निवास करते थे. उनके पाल कोई भव्य महल नहीं था.
एक बार पार्वती ने शिवजी से अनुरोध किया कि उनका भी अन्य देवताओं की तरह महल होना चाहिए.
इसके बाद शिवजी ने विश्वकर्मा और कुबेर को बुलाकर समुद्र के बीच में सोने की लंका का निर्माण कराया था. इसे सोने की लंका कहा गया.
सोने की लंका की भव्यता के चर्चे दूर-दूर तक होते थे. रावण भी इसकी सुंदरता को देकर मुग्ध हो गया.
रावण ने ब्राह्मण का वेश धरकर शिवजी के पास गया और दान में सोने की लंका मांग ली.
शिवजी ने उसे दान में लंका को दे दिया. यानी धोखे से रावण ने लंका को हथिया लिया था. कहा जाता है रावण ने कुबेर से इसे छीना था.
पार्वती ने इसके बाद रावण को श्राप दिया था कि एक दिन लंका आग में जलकर भस्म हो जाएगी. हनुमान ने लंका में आग लगा दी थी.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.