हिमाचल प्रदेश से करीब 70 किलोमीटर दूर सिरमौर जिले में पौड़ीवाला शिव मंदिर स्थित है. मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग का आकार हर साल बढ़ता है.
सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन के पास पौड़ीवाला मंदिर सबसे प्राचीनतम शिवालयों में से एक है. पुराणों के मुताबिक, रावण ने अमर होने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी.
रावण की तपस्या से खुश होकर भगवान भोले नाथ ने रावण को वरदान दिया था कि अगर वह पांच सीढ़ियों का निर्माण कर लेता है तो वह अमर हो जाएगा.
बताया जाता है कि जब रावण इन सीढ़ियों का निर्माण करने लगा तो उसकी आंख लग गई. यही वजह है कि उसका स्वर्ग जाने का सपना पूरा नहीं हुआ.
पुराणों के मुताबिक, रावण ने स्वर्ग के लिए पहली सीढ़ी उत्तराखंड के हरिद्वार में बनाई थी. इसे हर की पौड़ी नाम दिया गया.
वहीं, रावण ने दूसरी सीढ़ी पौड़ी वाला में बनाई, जो हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में स्थित है.
इसके अलावा तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में स्वर्ग की सीढ़ी बनाई थी.
मान्यता है कि हिमाचल प्रदेश के पौड़ीवाला में स्थापित शिवलिंग में भगवान शिव आज भी विराजमान हैं, लेकिन उनके दर्शन सिर्फ सच्चे भक्तों को ही होते हैं.
मंदिर प्रशासन का दावा है कि पौड़ीवाला में स्थित शिवलिंग का आकार हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ता है.
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