कानपुर फिर बनेगा पूरब का मैनचेस्टर, 150 साल पुरानी ये इमारत खुलते ही उगलेगी सोना

Rahul Mishra
Sep 01, 2024

लाल इमली

लाल इमली कानपुर में होने वाले ऊन के कपड़ों के उत्पादन के लिए पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान रखता था.

इमली का पेड़

बताते हैं कि मिल के स्थान पर पहले एक विशालकाय इमली का पेड़ होता था.

नाम कैसे पड़ा

उस इमली के पेड़ की फलियां लाल रंग की होती थीं. इसी कारण इसका नाम लाल इमली पड़ा था.

स्थापना

अंग्रेजों के वक्त 1876 में लाल इमली मिल बनी. 26 एकड़ में बनी इस मिल में रोज तीन पाली में 8000 श्रमिक काम करते थे.

पूर्व का मैनचेस्टर

कानपुर को अपने इसी मिल के चलते पूर्व के मैनचेस्टर खिताब मिला था.

अधिग्रहण

इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री चुनी गई तब 18 जून 1981 को लाल इमली मिल का केंद्र सरकार ने अधिग्रहण कर लिया था.

बंद

लाल इमली में 1989 से कोई नई भर्ती नहीं हुई. 2009 से उत्पादन लगभग बंद हो चुका है.

मशीन और घड़ी भी बंद

लाल इमली की मशहूर घड़ी चलाने को चार मजदूर लगते थे, मिल बंद हुई तो घड़ी ने भी टिकटिक करना बंद कर दिया.

चालू करने की लागत

मिल चलाने को तीन हजार कर्मियों और 400 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. जबकि छह मशीनों की पैकिंग अभी तक नहीं खुली.

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