लखनऊ का मशहूर नॉनवेज बाजार, मुगल बादशाह भी थे लजीज व्यंजनों के दीवाने

Preeti Chauhan
Apr 19, 2024

लखनऊ के टुंडे कबाब

लखनऊ के नवाब और खाना अपनी अलग अहमियत रखते हैं. लखनऊ की टुंडे कबाबी दुकान अपने स्वादिष्ट गलौटी कबाब, कोरमा और बिरयानी के लिए सालों से फेमस है.

पुराने इलाके की गलियों में वैरायटी

यहां के कबाब इतने सॉफ्ट होते हैं कि मुंह में जाते ही घुल जाते हैं. टुंडे कबाब की कई दुकानें आपको लखनऊ के पुराने इलाके की गलियों में देखने को मिल जाएगी.

बिना दातों वाले नवाबों के लिए बने कबाब

ऐसा कहा जाता है कि ये कबाब बिना दांतों वाले नवाब के लिए बनाए गये थे. इसके लिए गोश्त को बारीक पीसकर और उसमें पपीते मिलाकर ऐसा कबाब बनाया गया जो मुंह में डालते ही घुल जाए. इन कबाबों की खासियत है कि इनमें 120 मसाले डाले जाते हैं.

1905 से शुरू हुआ सफर

जब 1905 में पहली बार यहां अकबरी गेट में एक छोटी सी दुकान खोली गई. हालांकि टुंडे कबाब का‌ किस्सा तो इससे भी एक सदी पुराना है. हाजी जी के इन कबाबों की का स्वाद लेने के लिए लोग आते हैं.

दिलचस्प कहानी

इन कबाबों के टुंडे नाम पड़ने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है. असल में टुंडे उसे कहा जाता है जिसका हाथ न हो, रईस अहमद के वालिद हाजी मुराद अली पतंग उड़ाने के बहुत शौकीन थे. एक बार पतंग के चक्कर में उनका हाथ टूट गया. बाद में उनका हाथ काटना पड़ा.

ऐसे नाम पड़ा टुंडे कबाब

पतंग का शौक तो चला ही गया था तो मुराद अली पिता के साथ दुकान पर ही बैठने लगे. टुंडे होने की वजह से जो उनके यहां जो कबाब खाने आते वो टुंडे के कबाब बोलने लगे और यहीं से नाम पड़ गया टुंडे कबाब.

नहीं पता मसालों का राज

इसको बनाने की विधि और इसमें मिलाए जाने वाले मसालों के बारे में कोई नहीं जानता. हाजी परिवार ने इस सीक्रेट को आज तक किसी को भी नहीं बताया यहां तक की अपने परिवार की बेटियों को भी नहीं.

बंद कमरे में तैयार होता है मसाला

ऐसा कहा जाता है कोई इसकी रेसीपी न जान सके इसलिए उन्हें अलग-अलग दुकानों से खरीदा जाता है और फिर घर में ही एक बंद कमरे में पुरुष सदस्य उन्हें कूट छानकर तैयार करते हैं.

बॉलीवुड के सितारे भी फैन

इस स्वाद का ही असर है कि शाहरुख खान, अनुपम खेर, आशा भौंसले जैसे और सुरेश रैना जैसे बड़े बड़े नाम टुंडे कबाब खाने यहां आ चुके हैं.

देश भर में कई आउटलेट्स

टुंडे कबाबी लखनऊ का एक स्ट्रीट फूड ज्वाइंट है जहां एक साइड में बाहर से ही लोग कबाब पैक करा कर ले जा सकते हैं और दूसरी तरफ से अंदर रेस्टोरेंट में बैठकर खा भी सकते हैं.

कई वैराइटी के कबाब

यहां पर आपको कई वैराइटी के कबाब मिलेंगे, जिनमें से गलौटी कबाब का स्वाद बेहद जबर्दस्त है.अमीनाबाद के अलावा कपूरगंज और सहारागंज में भी टुंडे कबाबी की ब्रांचेज है.

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