द्रौपदी के विवाह के लिए स्वयंवर में पांडव और कौरव शामिल हुए थे. अंत में अर्जुन ने मछली की आंख में निशाना साधकर द्रौपदी से विवाह किया था.
अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन समेत कई योद्धा मद्र देश की राजकुमारी के स्वयंवर में शामिल हुए थे. हालांकि स्वयंवर की शर्त भगवान श्रीकृष्ण ने पूरी कर उनसे विवाह किया.
भागवत पुराण के अनुसार, राजकुमारी लक्ष्मणा के विवाह के लिए भी स्वयंवर आयोजित किया गया था. इसमें मछली की आंख में निशाना साधा जाना था.
द्रौपदी के स्वयंवर में नीचे पानी में मछली की छाया देखकर ऊपर घूमती हुई मछली की आंख को भेदना था.
वहीं, लक्ष्मणा के स्वयंवर में कहीं भी नहीं देखने की शर्त थी. आंखों पर पट्टी बांध कर मछली की आंख पर निशाना लगाना था.
इसमें कर्ण-अर्जुन सभी असफल रहे. भगवान श्रीकृष्ण मछली की आंख भेदने में सफल हुए थे.
उससे पहले स्वयंवर में कर्ण धनुष की डोरी तो चढ़ा पाया, लेकिन मछली की स्थिति का पता नहीं लगा पाया था.
अर्जुन ने जल में मछली की परछाई देख ली और यह भी पता लगा लिया कि वह कहां है, लेकिन उससे लक्ष्य भेदने में असफल हो गए थे. बाण सिर्फ मछली को स्पर्श कर पाया था.
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण खड़े हुए और उन्होंने खेल-खेल में ही लक्ष्य भेदकर मछली को मार गिरा दिया था.
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और लक्ष्मणा का विवाह संपन्न हुआ था.
इनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या और भद्रा थे.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.