यूपी में यहां 600 साल से लगता है प्रेमी-प्रेमियों का मेला, दूर दूर से आते हैं मोहब्बत के मारे

Pradeep Kumar Raghav
Jan 07, 2025

बांदा में आशिकों का मेला

बांदा के भूरागढ़ किले में 'आशिकों का मेला' यानी नटवली मेला लगता है जिसकी चर्चा दूर-दूर तक है. इस मेले में प्रेमी जोड़ों की भारी भीड़ लगती है.

आशिकों के मेले की कहानी

नदी के किनारे स्थित भूरागढ़ किले में आशिकों का मेला लगने के पीछे एक नट और राजकुमारी सुनलिका की प्रेम कहानी है.

600 साल पुराना इतिहास

इतिहासकारों के मुताबिक करीब 600 साल पहले भूरागढ़ दुर्ग किले के किलेदार की बेटी सुनलिका को एक नट से प्यार हो गया था.

सुनलिका की प्रेम कहानी

सुनलिका ने अपने प्रेम के बारे में पिता को बताया और कहा कि अपने प्रेमी नट से शादी करना चाहती है. किलेदार नाराज हुए फिर जब सुनलिका ने जिद की तो किलेदार ने एक शर्त रखी.

नट से शादी के लिए शर्त

किलेदार ने शर्त रखी कि अगर तेरा प्रेमी नट सूत की रस्सी पर चलकर नदी पार कर गया तो मैं तेरी शादी उससे करा दूंगा.

मकर संक्रांति के दिन शर्त

इस शर्त को पूरा करने के लिए मकर संक्रांति का दिन रखा गया. नट ने मकर संक्रांति के दिन सूत की रस्सी पर चलकर नदी पार करना शुरू किया.

सूत की रस्सी से नदी पार

नट ने सूत की रस्सी पर चलकर आधी नदी पार की ही थी कि किलेदार ने रस्सी काट दी, जिससे उसकी मौत हो गई. उसी नट की याद में किले के पास मंदिर बनवाया गया.

मन्नत मांगने आते हैं प्रेमी जोड़े

किले के पास ही इस मंदिर में मकर संक्रांति को प्रेमी जोड़े आते हैं और किले की दीवार पर अपना नाम लिखकर अपना प्रेम की सलामती की मन्नत मांगते हैं.

Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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