जहीरुद्दीन मुहम्मद उर्फ बाबर मुगल साम्राज्य का संस्थापक और प्रथम शासक था.बाबर ने जब 1526 में भारत में हुकूमत शुरू की.
बाबर घर से दूर रहते हुए हिंदुस्तान पर चढ़ाई करने के मंसूबे बना रहे थे तब बाबर की तीसरी पत्नी दिलदार बेगम ने 1523 में बेटी गुलबदन को जन्म दिया था.
बाबर ने भारत में आगरा तक साम्राज्य फैलाया था. गुलबदन छह साल की उम्र में काबुल से आगरा आ गईं.
भारत मे ही उनका निकाह के बाद गुलबदन ने अपने भतीजे बादशाह अकबर से हज पर जाने की इजाजत मांगी.
1576 में गुलबदन शाही ठाठ बाट छोड़कर गुलबदन मक्का मदीना चली गईं.
गुलबदन बेगम की इस यात्रा में बहादुरी के साथ-साथ करुणा और विद्रोह से जुड़ी घटनाएं भी शामिल हैं.
शाही काफिले के साथ समंदर के मुश्किल रास्तों के बाद वह मक्का मदीना पहुंची और वहां काफी समय बिताया. उन्होंने खूब दान किया.
ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान मुराद ने इसे अरब में मुगलों की ताकत के रूप में देखा था और उनको वापस जाने के लिए कहा था.
गुलबदन ने ऑटोमन साम्राज्य के उस आदेश को मानने से इंकार कर दिया था.ऑटोमन से विद्रोह की ये बड़ी घटना थी.
विवाद के बीच 1580 में गुलबदन भारत वापस आ गईं. गुलबदन दो साल की यात्रा के बाद 1582 में फतेहपुर सीकरी पहुंची.
गुलबदन बेगम को मुगल साम्राज्य की पहली और इकलौती महिला इतिहासकार और बहादुर महिलाओं में माना जाता है.
गुलबदन ने अपने जीवन के अनुभवों को अपनी किताब हुमायूं नामा में संकलित किया है. ये किताब अधूरी है, कई पन्ने आज तक गायब हैं.