वो मुगल राजकुमारी, जिसके आते ही बदली बाबर की जिंदगी

May 30, 2024

मुगल शासक बाबर

जहीरुद्दीन मुहम्मद उर्फ बाबर मुगल साम्राज्य का संस्थापक और प्रथम शासक था.बाबर ने जब 1526 में भारत में हुकूमत शुरू की.

बाबर की बेटी गुलबदन

बाबर घर से दूर रहते हुए हिंदुस्तान पर चढ़ाई करने के मंसूबे बना रहे थे तब बाबर की तीसरी पत्नी दिलदार बेगम ने 1523 में बेटी गुलबदन को जन्म दिया था.

6 साल में काबुल से भारत

बाबर ने भारत में आगरा तक साम्राज्य फैलाया था. गुलबदन छह साल की उम्र में काबुल से आगरा आ गईं.

मांगी हज की इजाजत

भारत मे ही उनका निकाह के बाद गुलबदन ने अपने भतीजे बादशाह अकबर से हज पर जाने की इजाजत मांगी.

मक्का

1576 में गुलबदन शाही ठाठ बाट छोड़कर गुलबदन मक्का मदीना चली गईं.

करुणा और विद्रोह से जुड़ी घटनाएं

गुलबदन बेगम की इस यात्रा में बहादुरी के साथ-साथ करुणा और विद्रोह से जुड़ी घटनाएं भी शामिल हैं.

मक्का मदीना पहुंची

शाही काफिले के साथ समंदर के मुश्किल रास्तों के बाद वह मक्का मदीना पहुंची और वहां काफी समय बिताया. उन्होंने खूब दान किया.

ऑटोमन साम्राज्य से ली टक्कर

ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान मुराद ने इसे अरब में मुगलों की ताकत के रूप में देखा था और उनको वापस जाने के लिए कहा था.

किया इंकार

गुलबदन ने ऑटोमन साम्राज्य के उस आदेश को मानने से इंकार कर दिया था.ऑटोमन से विद्रोह की ये बड़ी घटना थी.

1580 में भारत वापस आईं

विवाद के बीच 1580 में गुलबदन भारत वापस आ गईं. गुलबदन दो साल की यात्रा के बाद 1582 में फतेहपुर सीकरी पहुंची.

इकलौती महिला इतिहासकार

गुलबदन बेगम को मुगल साम्राज्य की पहली और इकलौती महिला इतिहासकार और बहादुर महिलाओं में माना जाता है.

बहादुर गुलबदन

गुलबदन ने अपने जीवन के अनुभवों को अपनी किताब हुमायूं नामा में संकलित किया है. ये किताब अधूरी है, कई पन्ने आज तक गायब हैं.

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