पितरों तक कैसे पहुंचता है श्राद्ध का भोजन, चौंका देगा गरुड़ पुराण का यह रहस्य

Pradeep Kumar Raghav
Sep 15, 2024

गरुड़ पुराण में श्राद्ध कर्म का महत्व

गरुड़ पुराण मृत्य के बाद आत्मा के साथ क्या होता है इसके साथ ही तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का भी महत्व बताया गया है.

पितरों की आत्मा की शांति

पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म जरूरी माना जाता है. इन दिनों मांगलिक और शुभ कार्यों की मनाही होती है

गरुड़ पुराण में दो दिव्य पितृ

गरुड़ पुराण में दो दिव्य पितृ विश्वदेव और अग्निश्रवा का जिक्र किया गया है जो श्राद्ध में अर्पित भोजन पितरों तक पहुंचाते हैं.

पित्रों को कैसा भोजन

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृ जिस योनि में होते हैं, उसी के अनुसार उन्हें भोजन प्राप्त होता है.

अलग योनि के लिए अलग भोजन

देव योनि में अमृत, मनुष्य योनि में अन्न, और अन्य योनियों में भोजन अलग-अलग रूपों में पहुंचता है.

5 पत्तों पर भोजन किनके लिए

श्राद्ध में पहले 5 पत्तों पर गाय, कुत्ता, चींटी, कौआ और देवता के लिए भोजन निकाला जाता है जिसका खास उद्देश्य होता है.

धरती पर आते हैं पितृ

माना जाता है कि पितृ गाय, कुत्ता, चींटी, कौआ और देवता के रूपों में धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं.

16 दिन चलता है श्राद्ध पक्ष

पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक 16 दिनों तक चलता है. इन दिनों शुभ कार्यों की मनाही होती है.

DISCLAIMER

लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है, तस्वीरों के काल्पनिक चित्रण का ZEE UP/UK हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

VIEW ALL

Read Next Story