इस दौरान धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास पर विशेष जोर दिया गया है.
5 लाख स्कवॉयर फीट में फैला काशी विश्वनाथ धाम की कुल लगात 900 करोड़ रुपये है. इसे साल 2022 में श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. यह कॉरिडोर 3 भागों बंटा है जिसमें 23 भवन और 27 मंदिर हैं. इसमें 4 बड़े गेट हैं और प्रदक्षिणा पथ पर 22 शिलालेख हैं जो संगमरमर के हैं.ये काशी की महिमा को बताते हैं.
काशी विश्वनाथ, वाराणसी और अयोध्या के राममंदिर की तर्ज पर भव्य और आकर्षक रूप दिया जाएगा. ब्रज क्षेत्र में विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं जो कि 32 हजार करोड़ रुपये की बताई गई हैं. 84 कोसी परिक्रमा अयोध्या के अलावा ब्रज में भी होने जा रही है.
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर बन रहा है इस कारण पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी जिसे देखते हुए 3 मार्गों का चौड़ीकरण के साथ ही सौन्दर्यीकरण भी किया जा रहा है. 6 जगहों पर पार्किंग हो या फिर जनसुविधाएं, इन सब विकास कार्यों के लिए काम किया जा रहा है और आने वाले 2 साल में काम पूरा करना तय किया गया है.
धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अपनी पहचान रखने वाले शहर प्रयागराज के लिए सरकार ने फैसला लिया कि साल 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये को बजट के रूप में आवंटित किया गया है, प्रयागराज के विकास का रास्ता साफ है इसे देखा जा सकता है.
रामायण सर्किट एक ऐसी परियोजना है, जिसमें श्रीराम संबंधि जगहों को सड़क और रेलमार्ग से कनेक्ट किया जाएगा. जिसमें श्रीराम की जन्मस्थली से लेकर उनके जीवन से संबंधि अहम जगहों को चुना गया है. उनके वनवास और माता सीता की खोज संबंधी अन्य जगहों को शामिल किया गया है.
महाभारत सर्किट में महाभारत युन की घटनाओं से लोग साक्षात्कार कर पाएंगे. इसमें पांडवों को जिंदा मारने केबनाए गए लाक्षागृह को जोड़ा जाएगा. कौशाम्बी को भी इसमें जोड़ा है. टूरिज्म स्पॉट के रूप में इसे विकसित किए जाने की तैयारी है. पर्यटन निदेशालय ने इस बारे में खाका खींच लिया है.
देश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक चित्रकूट को भारत सरकार ने स्वदेश दर्शन 2.0 योजना में जोड़ा है. वोकल फॉर लोकल थीम के अंतर्गत घरेलू पर्यटन को इसमें बढ़ावा देना मकसद है जिसके तहत केंद्र यहां खुद विकास के काम कराएगी, जिसको 'देखो मेरा देश' अभियान कहा गया है, इसमें चित्रकूट और ग्वालियर शामिल हैं.
बीते साल अक्टूबर में 300 करोड़ की विकास परियोजनाओं का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया. जिसमें रोपवे परियोजना का भी शिलान्यास हुआ था. जोकि 9.7 किलोमीटर लंबा होगा और गौरीकुंड को केदारनाथ से कनेक्ट करेगा. फिलहाल, यह दूरी करीब छह घंटे की है.
424 करोड़ के मास्टर प्लान के अंतर्गत बद्रीनाथ धाम को संवारने संबंधी काम हो रहे हैं. पहले चरण का काम पूर्ण होने के बाद अब दूसरे चरण में बद्रीनाथ के मेन मंदिर के साथ ही आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण का काम किया जाएगा. अंतिम चरण में मंदिर से शेष नेत्र झील को कनेक्ट करने वाले आस्था पथ का निर्माण किया जाएगा.