प्रयागराज में संगम किनारे लगने वाला महाकुंभ मेला हिंदूओं का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक मेला है. इस बार 2025 में महाकुंभ मेला लगने वाला है. महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से होगी. वहीं, समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा. ऐसे में महाकुंभ मेला 45 दिनों का होगा.
महाकुंभ 2025 में तीन शाही स्नान होंगे. पहला मकर संक्राति, दूसरा 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और तीसरा 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन शाही स्नान होगा.
महाकुंभ 2025 की झलक 2024 के कुंभ मेले से ही दिखने लगेगी. योगी सरकार ने इसके लिए पूरा प्लान तैयार कर लिया है.
योगी सरकार ने महाकुंभ के आयोजन के लिए करीब 2500 करोड़ के बजट की व्यवस्था की है. महाकुंभ में पहली बार सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा.
महाकुंभ 2025 से पहले काशी विश्वनाथ धाम, विंध्याचल धाम, अयोध्या और उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर लेटे हनुमान मंदिर कॉरिडोर को बनाने की योजना है.
सनातन धर्म के सबसे बड़े मेले में दुनिया भर से लाखों लोग संगम पहुंचते हैं. संगम में एक डुबकी लगाने को आतुर रहते हैं.
महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है. समुद्र मंथन के दौरान अमृत पाने के लिए देव और दानवों में 12 दिन तक निरंतर संघर्ष चला था.
विष्णु के कहने पर गरुड़ ने अमृत का कलश ले लिया. असुरों ने जब गरुड़ से अमतृ कलश छीनने का प्रयास किया तो उस पात्र में से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरी थीं.
इस वजह से ही महाकुंभ के दौरान हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान किया जाता है. मान्यता है कि इससे अमृत की प्राप्ति होती है.
महाकुंभ 2025 में संगम में रोपवे चलाने की भी तैयारी है. संगम के पास बांध पर शंकर विमान मंडपम से अरैल के त्रिवेणी पुष्प तक रोपवे बनाया जाएगा.
साथ ही महाकुंभ 2025 में पहली बार डिजिटल कुंभ म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा. इसमें कुंभ का इतिहास दिखाया जाएगा.
जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब प्रयागराज में संगम किनारे महाकुंभ का आयोजन किया जाता है.
जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं तब उत्तराखंड के हरिद्वार में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं तब नासिक में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
जब बृहस्पति के सिंह राशि में और सूर्य के मेष राशि में होते पर उज्जैन में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
इन काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.