एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से प्रश्न किया कि युवाओं की होने वाली अकाल मृत्यु में व्यक्ति के कर्म खराब होते हैं या इसका कुछ और कारण है.
प्रेमानंद जी महाराज ने इस पर उत्तर दिया कि तब अकाल मृत्यु होती है जब कोई महत अपराध हो जाए. (Premanand Maharajs views on untimely death)
महाराज जी ने कहा कि महत अपराध आजकल बहुत सुक्ष्मता से किया जा रहा है. जिनमें कुड़ेदान में बच्चियों को फेंका देना.
महाराज जी ने कहा कि नवजात शिशुओं की हत्या हो या गर्भ हत्या ये सब महत अपराध होते हैं जो आजकल खिलवाड़ हो रहा है.
महाराज जी ने कहा ऐसे आयु नष्ट, कीर्ति नष्ट हो जाएगी, यश का नाश हो जाएगा, श्री नष्ट होगी.
महाराज जी ने आगे कहा कि बाहरी पोशाक और चेहरा सुंदर है पर मन में मलिनता ऐसी कि पाप किए जा रहे हैं.
महाराज जी ने कहा महत पाप हो जाते हैं जो व्यक्ति की आयु का तत्काल नाश करते हैं. जिससे अकाल मृत्यु होती है.
महाराज जी ने आगे कहा कि जो समय से मृत्यु पाए तुम्हारे कर्म के परिणाम से वो है ही पर तुम्हारे कर्म का परिणाम अकाल मृत्यु भी है.
महाराज जी ने कहा कि पर अकाल मृत्यु में ये वर्तमान के किए कर्म अधिक योग देते हैं.
यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.