यूपी की वो शापित नदी, जिसमें नहाने से पुण्य नहीं मिलता है पाप!

Pooja Singh
Nov 27, 2024

कर्मनाशा नदी

उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर बहने वाली कर्मनाशा नदी के पानी से लोग डरते हैं. लोगों में इतना खौफ है कि वो नहाना तो दूर इसका पानी भी नहीं छूते.

कहां बहती है ये नदी?

ये नदी बिहार के कैमूर जिले से निकलती है और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, और गाजीपुर जिलों से होकर बहती है.

पौराणिक कथा

कर्मनाशा नदी के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इन कथाओं के मुताबिक, इस नदी में नहाने से या इसका पानी छूने से व्यक्ति के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

नाम का अर्थ

कर्मनाशा नदी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है - कर्म और नाश. इसका शाब्दिक अर्थ ही निकलता है काम नष्‍ट करने वाली या बिगाड़ने वाली.

क्या है कहानी?

कथा के मुताबिक, राजा हरीशचंद्र के पिता सत्यव्रत ने एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से शरीर के साथ स्वर्ग में जाने की इच्छा जताई, लेकिन गुरु ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया.

गुरु विश्वामित्र

गुरु वशिष्ठ के इनकार से सत्यव्रत नाराज हो गए और विश्वामित्र के पास पहुंचे. उन्होंने विश्वामित्र से भी यही इच्छा जाहिर की. विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ के बीच शत्रुता होने के कारण उन्होंने सत्यव्रत की बात मान ली.

कैसे कहलाए त्रिशंकु?

इसके बाद घोर तप कर विश्वामित्र ने सत्यव्रत को शरीर सहित स्वर्ग भेज दिया. जब देवताओं और विश्वामित्र का युद्ध हो रहा था, तो सत्यव्रत धरती और आकाश के बीच में अटके हुए थे.

स्वर्ग और पृथ्वी

एक कथा के मुताबिक, सत्यव्रत धरती और स्वर्ग के बीच में ही लटक गए और त्रिशंकु कहलाए. फिर कई सालों तक इसी स्थिति में रहे.

नदी का जन्म

कथा के मुताबिक, कई सालों तक इस स्थिति में रहने के बाद त्रिशंकु की लार धरती पर गिरी और इसी से कर्मनाशा नदी का जन्म हुआ.

ऋषि वशिष्ठ का श्राप

फिर ऋषि वशिष्ठ ने सत्यव्रत को चंडाल होने का शाप दे दिया और इसके बाद यह नदी भी शापित हो गई. इस बात को आज भी लोग मानते हैं और इस नदी से दूर रहते हैं.

Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इस खबर की एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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