Jun 23, 2024

वनवास की कथा

रामायण में भगवान राम और मां सीता के विवाह और वनवास की कथा मिलती है. मां सीता राजा जनक की पुत्री थी और श्रीराम की पत्नी.

सीता-राम-लक्ष्मण

पत्नी धर्म निभाने के लिए मां सीता को श्रीराम के साथ वनवास जाना पड़ा.

वनवास

वनवास जाते समय माता सीता और श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण तीनों ने ही पीले रंग के कपड़े पहने थे.

14 साल का वनवास

माता सीता ने 14 साल का वनवास एक ही साड़ी में काट दिया था. 14 साल के वनवास में मां सीता के कपड़े कभी मैले नहीं हुए थे.

जानते हैं क्यों

आइए जानते ऐसा क्या था कि उनके कपड़े उज्जवल थे.

वनवास

धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि वनवास के शुरू होने पर श्रीराम पत्नी और भाई के साथ ऋषि अत्रि के आश्रम में गए थे.

ऋषि अत्रि की पत्नी

ऋषि अत्रि की पत्नी का नाम माता अनुसूया था.राम और सीता का उन्होंने बहुत अच्छे से स्वागत किया.

बहुत खास

माता अनुसूया ने सीता जी को एक साड़ी दी थी. ये साड़ी बहुत खास थी.

अग्निदेव ने अनुसूया को दी

ऐसा कहा जाता है कि उनको ये साड़ी खुद अग्निदेव ने उनके तप से प्रसन्न हो कर दी थी.

बहुमूल्य साड़ी

अग्निदेव द्वारा माता अनुसूया को जो साड़ी दी गई थी उसकी खासियत थी के इसका कुछ खराब नहीं होगा. इस साड़ी में न कभी दाग लगेगा और न फटेगी.

दिव्य साड़ी

दिव्य साड़ी और आभूषण भेंट करने के साथ ही मां अनुसूया ने सीता जी को पत्नी धर्म का पाठ भी पढ़ाया.

वस्त्र नहीं हुए मैले

मां सीता ने अपने संपूर्ण वनवास के दौरान उसी साड़ी को धारण किया था. यही कारण था कि उनके वस्त्र कभी मैले नहीं हुए.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं कर

VIEW ALL

Read Next Story