रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे से करीब 4 मिनट तक भगवान राम के मस्तक पर सूर्य तिलक किया गया. इसे करोड़ों लोगों ने घर पर लाइव देखा.
इस मौके पर राम मंदिर का विशेष श्रृंगार किया गया है. रामनवमी के मौके पर राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए थे.
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे जब श्रीराम का जन्म होने के बाद उनके माथे पर सूर्य की किरण पड़ीं. इस दौरान रामलला का ललाट सूर्य की किरणों से जगमग हो उठा.
वैज्ञानिकों ने विशालकाय मैग्नीफाइंग ग्लास और लेंस से रामलला के मस्तक तक सूर्य किरणों को पहुंचाया. 500 साल के इतिहास में पहली बार श्रीराम का सूर्याभिषेक
राम मंदिर में उस वक्त सूर्य किरणें भी सीधे मंदिर की ओर सबसे तेज थीं. आस्था और विज्ञान के संगम से रामलला का सूर्याभिषेक किया गया.
रामलला का जन्मोत्सव दोपहर 12 बजकर 04 मिनट पर सूर्य तिलक हुआ. केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल के साथ ही रवियोग उस समय ही बन रहे थे.
श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसारण अयोध्या में लगभग 100 बड़ी एलईडी स्क्रीन के जरिए से किया गया. इसका लाइव टेलिकास्ट न्यास के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी हुआ.
रामलला का सूर्य तिलक का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया गया. इसके अलावा भक्त श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के Facebook, Youtube और इंस्टाग्राम हैंडल पर देख गया.
राम नवमी के शुभ अवसर पर अयोध्या के राम मंदिर में बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई. इस दिन रामलला को कुल 56 प्रकार के भोग लगाए गए.
भगवान भोग ग्रहण करें इसके लिए अल्प-काल के लिए समय-समय पर पर्दा किया गया. रामनवमी तिथि पर शयन आरती संपन्न होने पर मंदिर निकास मार्ग पर भक्तों को प्रसाद भी दिया गया मंदिर व्यवस्था में लगे लोगों का मानना है कि यह विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय है.