देवभूमि उत्तराखंड में मां दुर्गा अलग-अगल रूपों में विराजती हैं और ये स्थान सिद्धपीठ के रूप में जाने जाते हैं. इनके दर्शन से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है. इन्हें नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी पूजा जाता है.
द्वाराहाट से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर इस भव्य मंदिर में मां दुर्गा दूनागिरि वैष्णवी रूप में पूजी जाती हैं.
कुरुड़ में नंदा देवी का मंदिर स्थित है. मां पार्वती के रूप कुरुड़ नंदा को राजराजेश्वरी के नाम से भी पुकारा जाता है.
नैना देवी मंदिर नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है, मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं.
यह प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है. यहां माता की मूर्ति को महान संत आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में स्थापित किया था.
कसार पर्वत पर स्थित कसार देवी मंदिर अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता है. यहां मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं.
सुरकंडा देवी मंदिर टिहरी क्षेत्र में सुरकुट पर्वत पर लगभग 2757 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
टिहरी गढ़वाल देवप्रयाग में स्थित मां चन्द्रबदनी मंदिर शक्तिपीठों में से एक है. यह चंद्रकूट पर्वत के ऊपर स्थित है.
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