ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते । भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते॥
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि । गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥
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