वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून को रखा जाएगा.
ज्योतिष के अनुसार आप किसी कारण व्रत नहीं कर पाएं तो आप सच्चे मन से पूजा करें और एक समय में दूध या फल ग्रहण कर सकते हैं.
अगर आपको मधुमेह, रक्तचाप, अस्थमा का रोग है तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में सलहा ले सकते है.
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर हो रही है. इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा.
इस व्रत में बरगद के पूजा की जाती है. बेसन का हलवा, मीठी बूंदी, आटे का हलवा, पंचामृत का भोग लगाया जाता है.
यह व्रत बरगद के वृक्ष की महिमा का गुणगान करता है. इसके अलावा सुहागिन महिलाऐं ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों के लिए उपवास रखती हैं
कुछ महिलाऐं केवल अमावस्या के दिन ही व्रत रखती हैं. इसलिए इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं.
इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग,पति प्रेम और पतिव्रत धर्म की कथा का स्मरण करती है.
जो स्त्रियां सावित्री व्रत करती हैं वे पुत्र-पौत्र-धन आदि पदार्थों को प्राप्त कर चिरकाल तक पृथ्वी पर सब सुख भोग कर पति के साथ ब्रह्मलोक को प्राप्त करती हैं
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा,तने में भगवान विष्णु एवं डालियों में त्रिनेत्रधारी शंकर का निवास होता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.