श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने का काफी महत्व बताया गया है. लोग इन दिनों पितरों की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. वैसे तो भारत में पिंडदान करने के कई तीर्थस्थल है लेकिन उनमें से बिहार का गया महत्पवूर्ण स्थान माना गया है.
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है जो 14 अक्टूबर तक चलेगी. इस दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्धालु गया पहुंचकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करेंगें.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए अगर आप किसी कारणवश आप गया नहीं आ सकते हैं तो चिंता मत कीजिए. आप घर बैठे पिंडदान कर सकेंगे.
जानिए घर पर कैसे श्राद्ध करें जिससे पितरों कीआत्मा को शांति मिल सके.
पंडितों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश गया तीर्थ नहीं आ सकते हैं तो वह अपने घर पर ही पिंडदान की विधि को पूरा कर सकते हैं.
पंडितों के मुताबिक इसके लिए अपने घर के आसपास नदी, तालाब में स्नान करें. गया क्षेत्र का ध्यान लगाते हुए अपने पितरो का तर्पण करें.
किसी ब्राह्मण के द्वारा श्राद्ध कर्म, तर्पण, ब्रह्म भोजन, पञ्चबलि कार्य कर सकते हैं.
वैसे पितरों के मोक्ष के लिए एक बार गया तीर्थ जरुर करना चाहिए. बार-बार गया आकर अपने पूर्वजो का श्राद्ध करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है.
इस पितृ पक्ष में आपकी माता पिता या फिर अगर दोनों की मृत्यु हो चुकी है तो फिर आपको श्राद्ध करना अनिवार्य है.
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आश्विन अमावस्या तक के बीच आपको यह करना है. इस बार 28 सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच ही आपको यह श्राद्ध कर्म करना है.
इस दौरान आपको इस पूरे दिनों तक जल, तिल, फूल से पितरों का तर्पण रोज करना चाहिए. जिस भी तिथि को आपके माता या पिता की मृत्यु हुई है या फिर दादा या परदादा की हुई है तो उस तिथि पर आपको ब्राह्मणों को भोजना भी कराना है.
पितृपक्ष में ब्राह्मणों को जितना दान देंगे उतना ही आपके पितर तृप्त होंगे और आप आगे बढ़ेंगे.