महाभारत के युद्ध के बारे में आज भी जिक्र किया जाता है. जिसे कौरव और पांडवों के बीच लड़ा गया था.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि युद्ध में तलवार, भाला, तीर आदि से घायल होने वाले सैनिकों का इलाज कैसे किया जाता था.
चोटिल सैनिकों का इलाज करने के लिए एक खास औषधीय पौधे का उपयोग किया जाता था. आइए जानते हैं इसके बादे में.
पौराणिक कथाओं के अनुसार शल्यकर्णी पौधे की औषधि से घायल सैनिकों का इलाज किया जाता था.
इसकी पत्तियों और छाल के रस को कपड़े में डुबाकर घाव पर बांध दिया जाता था. जिसके घाव आसानी से भर जाता था.
शल्यकर्णी पौधे की औषधि का उपयोग करने से बिना चीर फाड़ किए घाव भर जाते थे.
शल्यकर्णी नामक औषधीय पौधे का उल्लेख चरक संहिता में किया गया है.
दुर्लभ प्रजाति के पौधे को संरक्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. छुहिया पहाड़ी में इसके पुराने पेड़ मिले थे, जिनकी शाखाओं से नए पौधे विकसित किए गए.
यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.