राहत इंदौरी के वो दस शेर, जिसके दीवाने हैं नौजवान

Rahul Mishra
Oct 06, 2023

अंधेरें चारों तरफ़ साये-साये करने लगे, चारा हाथ उठाकर दुआएं करने लगे. सलीका जिनको सिखाया था हमने चलने का, वो लोग आज हमें दाये-बाये करने लगे

तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो. मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो

किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है. आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है?

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था. मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था. मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना. मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था

कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे. जहां-जहां से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे.

मैंने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया. इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए.

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता. यहां हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी.

हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है. हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है. सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है.

दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी, निगरानी में सारा शहर लग गया.

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