उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक बहुत ही अनोखा गांव है, जिसे एशिया में इकलौता और सबसे बड़ा गांव कहा जाता है.
यही वजह है कि इस गांव को फौजियों का गांव भी कहा जाता हैं. जी हां हम बात कर रहे है, गाजीपुर (Ghazipur) के गहमर गांव (Gahmar Village) के बारे में.
गहमर गाजीपुर जिले से 40 किमी दूरी पर यह स्थित है.गहमर में एक रेलवे स्टेशन है, जो पटना और मुगलसराय से जुड़ा है.
हर घर से कम से कम दो लोग सेना में होते हैं . यहां की मिट्टी, हवा और पानी आज भी देशभक्ति को समेटे हुए हैं..
गांव के 12 हजार फौजी भारतीय सेना में जवान से कर्नल तक पदों पर हैं, जबकि 15 हज़ार से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं.
कई ऐसे परिवार भी हैं, जिसमें दादा भूतपूर्व सैनिक हैं तो बेटा सेना का जवान. वहीं, पोता सैनिक बनने की जी तोड़ कोशिश में लगा है.
प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हो या 1965 या फिर 1971 का युद्ध या कारगिल की लड़ाई, यहां के फौजियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
बिहार-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा ये गांव करीब 8 वर्गमील में फैला है.
गहमर की आबादी लगभग 1 लाख 20 हज़ार है. यह गांव 22 पट्टी या टोले में बंटा हुआ है. प्रत्येक पट्टी किसी न किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर है.
यहां पर प्रसिद्ध मां कामाख्या देवी का मंदिर भी है. ये मंदिर बिहार, यूपी समेत कई राज्यों की आस्था का केंद्र है.
गांव में शहर जैसी सारी सुविधाएं हैं. गांव में टेलीफोन एक्सचेंज, डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र हैं.
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि वर्ष 1530 में कुसुम देव राव ने सकरा डीह नामक स्थान पर गहमर गांव बसाया था.
स्पष्ट कर दें कि यहां पर कुछ फोटो AI द्वारा निर्मित महज काल्पनिक फोटो हैं, जिनको बॉट ने कमांड के आधार पर तैयार किया है.