उत्तराखंड घूमने की बात आते ही ज्यादतर लोगों के दिमाग ऋषिकेश, नैनीताल, मसूरी ऐसे ही दो चार जगह के नाम दिमाग में आते हैं लेकिन उत्तराखंड में इनसे भी कहीं बेहतर टूरिस्ट प्लेस हैं.
हर्षिल वैली भागीरथी नदी के किनारे बसा है और देहरादून से करीब 200 किलो मीटर दूर है. आइये आपको बताते है यहं क्या-क्या खास है.
गरतांग गली कोई गली नहीं बल्कि 11 हजार की फीट ऊंचाई पर पहाड़ी चट्टानों के बीच बना एक लकड़ी का पुल है जो 150 साल पुराना है. इसकी सीढ़ीदार इंजीनियरिंग कमाल की है.
लामा टॉप एक सनराइज व्यू प्वाइंट है जहां से पूरी हर्षिल घाटी का बहुत ही सुंदर नजारा दिखाई देता है. हर्षिल वैली घूमने वालों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं.
प्रकृति की गोद में स्थानीय लोग कैसे आनंद से रहते हैं इसका अनुभव करने के लिए आप यहां के लोकल विलेज में होम स्टे लेकर पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं.
उत्तराखंड के चार धामों में एक गंगोत्री धाम यहां से महज 25 किलोमीटर दूर है, इसलिए यहां तो जाना बनता ही है. नदी किनारे बना गंगोत्री धाम जितना पवित्र है उतना ही सुंदर भी है.
देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है जहां से हर्षिल के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं . जबिक ट्रेन से पहले ऋषिकेश पहुंचें फिर वहां से टैक्सी या मिनी बस ले सकते हैं.
उत्तराखंड की इस स्वर्ग जैसी जगह की सैर यूं तो आप किसी भी मौसम में कर सकते हो लेकिन बरसात के मौसम में यहां जाने पर खतरा हो सकता है. क्योंकि बरसात में पहाड़ों के दरकने का खतरा बढ़ जाता है.
हर्षिल घाटी को उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. लेकिन इस अनुभव को लेने के लिए आपको अक्टूबर से फरवरी के बीच हर्षिल घाटी आना होगा, तब यहां ठीक-ठाक बर्फ पड़ती है.
खबर में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई, ज्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें, खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ZEE UPUK उत्तरदायी नहीं है.