महाभारत में यक्ष के युधिष्ठिर से वो सवाल, जिनके उत्तर हर इंसान को जानना जरूरी

Rahul Mishra
May 28, 2024

यक्ष-युधिष्ठिर संवाद

महाभारत में पांड़वों के अज्ञातवास के दौरान एक बार महाराज यक्ष और युधिष्ठिर के बीच हुए था संवाद. इस संवाद को ही हम सब यक्ष के सवालों से जानते हैं.

संवाद का कारण

अज्ञातवास में एक बार पांडवों को प्यास लगी थी. तो पानी लेकर आने के लिए पहले दोनों छोटे भाई गए थे. दोनों के लौटकर ना आने से भीम और अर्जुन गए. परंतु वो भी वापिस नहीं आए.

युधिष्ठिर

जब कोई भी लौटकर वापिस नहीं आया तो फिर युधिष्ठिर तालाब के पास पहुंचे और तह उन्हें पता चला कि पानी पीने के लिए पहले यक्ष के सवालों को जवाब देना होगा.

सवाल

युधिष्ठिर ने यक्ष का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और फिर हुआ यक्ष-युधिष्ठिर संवाद.

पहला सवाल

पृथ्वी से भी भारी और आकाश से भी ऊंचा क्या है? युधिष्ठिर बोले कि पृथ्वी से भी भारी माता और आकाश से भी ऊंचा पिता है.

दूसरा सवाल

हवा से भी तेज क्या चलता है और किसकी संख्या तिनकों से भी ज्यादा असंख्य है? हवा से भी तेज चलने वाला मन और तिनकों से भी ज्यादा असंख्य चिंता की होती है.

तीसरा सवाल

रोगी का मित्र कौन होता है और मृत्यु आने के समय व्यक्ति का मित्र कौन है? रोगी का मित्र वैद्य और मृत्यु आने के समय व्यक्ति का मित्र सिर्फ दान होता है.

चौथा सवाल

यश का मुख्य स्थान क्या होता है और सुख का मुख्य स्थान क्या होता है? दान यश का मउख्य स्थान है और शाल रहना सुख का मुख्य स्थान है.

पांचवा सवाल

धन्य पुरुषों में उत्तम गुण क्या होता है और मनुष्य का परम आश्रय क्या होता है? कार्य-कुशलता धन्य पुरुषों में उत्तम गुण इसके साथ मनुष्य का परम आश्रय दान होता है.

छठा सवाल

लाभों में प्रधान लाभ क्या होता है और सुखों में उत्तम सुख क्या होता है? सबसे प्रधान लाभ निरोगी काया और संतोष को होना सबसे उत्तम सुख है.

सातवां सवाल

इस दुनिया में श्रेष्ठ धर्म क्या है और किसको वश में रखने से मनुष्य कभी शोक नहीं करते हैं? दुनिया में श्रेष्ठ धर्म दया और अपने मन को वश में रखने से मनुष्य कभी शोक नहीं करता है.

आठवां सवाल

मनुष्य किस वस्तु को त्यागकर दूसरों को प्रिय होता है और किसे त्यागकर वह शोक नहीं करता है? मनुष्य अहंकार को त्याग देने से सभी को प्रिय और वह क्रोध को त्यागकर कभी शोक नहीं करता है.

नौवां सवाल

मनुष्य धनी किस वस्तु को त्यागकर होता है और क्या त्यागकर वह सुखी होता है? युधिष्ठिर बोले कि मनुष्य धनी काम-वासना को और लालच को त्यागकर सुखी रहता है.

दसवां सवाल

मनुष्य किसलिए अपने मित्रों को त्याग देता है और किनके साथ की गई मित्रता नष्ट नहीं होती है? मनुष्य मित्रों का त्याग लालच के कारण और सच्चे लोगों से की गई मित्रता कभी भी नष्ट नहीं होती है.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है.

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