उत्तर भारत में शुक्रवार 03 नवंबर 2023 को देर रात 11 बजकर 35 मिनट पर भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए. भूकंप आने के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए.
ऊपर से शांत दिखने वाली धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है. धरती के अंदर मौजूद प्लेटें आपस में टकराती रहती हैं जिसके चलते हर साल भूकंप आते हैं.
भूकंप का साइंस समझने से पहले हमें धरती के नीचे मौजूद प्लेटों की संरचना को समझना होगा.
हमारी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इन प्लेटों के टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे भूकंप कहा जाता है.
धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं. हर साल ये प्लेटें अपनी जगह से 4-5 मिमी खिसक जाती हैं.
इस दौरान कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे से खिसक जाती है. इसी दौरान प्लेटों के टकराने से भूकंप आता है.
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इस स्थान पर भूकंप का असर सबसे ज्यादा होता है और सबसे तेज कंपन होता है.
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है.
रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.