गोपेश्वर: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट मंगलवार (20 नवंबर) को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए और इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया. बद्रीनाथ मंदिर समिति के जनसंपर्क अधिकारी हरीश गौड ने बताया कि शाम 3.21 पर बद्रीनाथ धाम के कपाट परम्परागत पूजा अर्चना और रीति रिवाज से शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए. इस दौरान सेना के बैंड की धुनों से वातावरण गुंजायमान रहा.


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कपाट बंद होने के मौके पर धाम की आखिरी पूजा में हिस्सा लेने के लिये हजारों श्रद्धालुओं के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट और योग गुरू रामदेव भी मौजूद रहे. चमोली जिला स्थित भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने के लिये सुबह से ही विशेष पूजायें शुरू हो गई थीं. कपाट बंद होते समय मंदिर के पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबुदरी ने भगवान बद्रीविशाल को माणा गांव से अर्पित घृत कंबल ओढ़ाया गया. भगवान को शीत से बचाव हेतु सदियों से इस धार्मिक परंपरा का निर्वाह किया जाता है.


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श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान भगवान बद्रीविशाल के दर्शन जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में कर सकेंगे. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ इी इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया. इस साल करीब साढे़ 10 लाख तीर्थयात्रियों ने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए. गढ़वाल हिमालय के चार धामों के नाम से मशहूर तीन अन्य धामों, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट पहले ही शीतकाल के लिये बंद किये जा चुके हैं. सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं.