विवादित हिस्सा नहीं हटाये जाने तक यूपी में रिलीज नहीं होगी फिल्म पद्मावती: केशव प्रसाद मौर्य
`पद्मावती` के निर्माताओं ने 19 नवंबर को कहा कि उन्होंने संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को रिलीज करने की प्रस्तावित तारीख टाल दी है.
लखनऊ: ‘पद्मावती’ फिल्म पर उठे विवादों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार (19 नवंबर) को कहा कि फिल्म से जब तक विवादित अंश नहीं हटाये जायेंगे तब तक इस फिल्म को प्रदेश में रिलीज करने की इजाजत नहीं दी जायेंगी.उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘‘मैं प्रदेश का मनोरंजन कर मंत्री भी हूं, हम उत्तर प्रदेश में इस फिल्म को तब तक रिलीज नही होने देंगे जब तक कि इसमें से विवादित अंश न हटा दिये जाये.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुगलों के सामने आत्मसर्मपण के बजाय अपने जीवन का बलिदान दे दिया और इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया. हमलावरों ने देश में बहुत उत्पात मचाया, लेकिन रानी ने अपने सतीत्व और आत्मसम्मान की रक्षा के लिये अपने को 'जौहर' में जिंदा जला लिया.’’
बढ़ते विरोध के बीच 'पद्मावती' के निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज टाली
इससे पहले विवादों में घिरी 'पद्मावती' के निर्माताओं ने रविवार (19 नवंबर) को कहा कि उन्होंने संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को रिलीज करने की प्रस्तावित तारीख टाल दी है. अपने बयान में 'वायाकॉम18 मोशन पिक्चर्स' के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने 'स्वेच्छा' से यह फैसला किया है. 'पद्मावती' के निर्माण में शामिल स्टूडियो 'वायाकॉम18 मोशन पिक्चर्स' ने स्वेच्छा से फिल्म को रिलीज करने की तारीख एक दिसंबर 2017 से आगे बढ़ा दी है. प्रवक्ता ने कहा कि ‘वायाकॉम18 मोशन पिक्चर्स’ देश के कानून और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) जैसी वैधानिक संस्थाओं का पूरा सम्मान करती है. उन्होंने कहा कि एक ‘जिम्मेदार और कानून का पालन करने वाले कॉरपोरेट नागरिक’ के तौर पर वह स्थापित प्रक्रियाओं एवं परंपराओं का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
वसुंधरा राजे ने लिखा स्मृति ईरानी को पत्र, कहा- ज़रूरी बदलाव के बिना रिलीज़ न हो 'पद्मावती'
बयान के मुताबिक, ‘हमें यकीन है कि हम फिल्म रिलीज करने के लिए जरूरी मंजूरी जल्द ही हासिल कर लेंगे.’ सीबीएफसी यानी सेंसर बोर्ड से प्रमाण-पत्र हासिल करने से पहले ही विभिन्न मीडिया चैनलों को यह फिल्म दिखाए जाने से बिफरे बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी शनिवार (18 नवंबर) को ‘पद्मावती’ के निर्माताओं पर जमकर बरसे थे. सीबीएफसी ने फिल्म को वापस निर्माता के पास भेज दिया था, क्योंकि प्रमाणन का आवेदन ‘अधूरा’ था. बयान में कहा गया, ‘......हम एक जिम्मेदार, कानून का पालन करने वाले कॉरपोरेट नागरिक हैं और देश के कानून एवं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सहित हमारी सभी संगठनों एवं वैधानिक संस्थाओं के प्रति हमारा पूरा सम्मान है.’