नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona Virus) से हमारी लड़ाई का बड़ा हथियार रहा है सैनिटाइजर. लेकिन ये भी सच है कि किसी भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल सही नहीं होता. कोरोना के जानलेवा वायरस से हमें हचाने वाला सैनिटाइजर हमारी सेहत भी खराब कर सकता है. इसलिए आपने सुना होगा कि ज्यादातर डॉक्टर्स साबुन से हाथ धोने की सलाह देते हैं, न कि बार-बार सैनिटाइजर का प्रयोग करने की. हम बताते हैं इसके क्या कारण हैं....


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डर्माटाइटिस या एग्जेमा (Dermatitis or Eczema)
जानकारी के मुताबिक 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोने से कोरोना से बचा जा सकता है. कभी-कभी इमरजेंसी में चाहें तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन इसके रोजाना कई बार प्रयोग से डर्माटाइटिस या एग्जेमा होने का खतरा रहता है. इसका मतलब है कि आपकी स्किन पर खुजली की समस्या बढ़ सकती है. इससे स्किन में रेडनेस, रूखापन और क्रैक भी पड़ सकते हैं.


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बिगड़ सकता है हॉर्मोन बैलेंस
जानकारी यह भी मिली है कि नॉन अल्कोहॉलिक सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसन मौजूद होता है. इससे हॉर्मोन से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है. बॉडी में हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ना किसी भी गंभीर समस्या आमंत्रण हो सकता है.


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इम्यूनिटी पर पड़ता है बुरा असर
सैनिटाइजर का ओवरयूज इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डाल सकता है. इसमें मौजूद ट्राइक्लोसन इम्यून सिस्टम के फंक्शन के लिए सही नहीं होता. और अगर इम्यूनिटी ही कमजोर है तो बीमारियों के चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है. 


फर्टिलिटी में परेशानी
विशेषज्ञों के अनुसार कुछ सैनिटाइजर में मौजूद एथिल अल्कोहल एंटीसेप्टिक का काम करता है. जबकि नॉन अल्कोहॉलिक सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसन या ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीबायोटिक कंपाउंड मौजूद होते हैं. कई स्टडी में ये बात साबित हो चुकी है कि ट्राइक्लोसन का फर्टिलिटी पर बहुत बुरा असर पड़ता है.


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हो सकती है अल्कोहल पॉइजनिंग भी
सैनिटाइजर ज्यादा असरदार हो, इसलिए उसमें अल्कोहल का अमाउंट भी बढ़ाया जाता है. लेकिन कई बार सैनिटाइजर की वजह से अल्कोहल पॉइजनिंग का खतरा भी रहता है. ऐसा होने पर अस्पताल में एडमिट होने के अलावा कोई उपाय नहीं है. 


स्किन से परेशानी
सैनिटाइजर एंटीसेप्टिक का काम करता है. स्किन को जर्म्स से बचाने के लिए हम इसका प्रयोग करते हैं. इसलिए सैनिटाइजर को एथिल या आइसोप्रोपिल अल्कोहल की मदद से तैयार किया जाता है. इसके लगातार उपयोग से स्किन में जलन और ड्रायनेस की समस्या बढ़ सकती है. 


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बॉडी डेवलपमेंट में दिक्कत
सैनिटाइजर को ज्यादा खुशबूदार बनाने के लिए इसमें प्थालेट्स और पैराबेंस जैसे कैमिकल्स डाले जाते हैं. प्थालेट्स एंडोक्रिन डिसरप्टर्स होते हैं जो वयक्ति के विकास और रीप्रोडक्शन प्रोसेस को नुकसान पहुंचाते हैं. जबकि पैराबेन्स हमारे हॉर्मोन, फर्टिलिटी और रीप्रोडक्टिव डेवलपमेंट के लिए हानिकारक है.


डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सामान्य ज्ञान के लिए लिखा गया है. किसी भी चीज के सेवन से पहले डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की सलाह जरूर लें. 


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